मुंबई में तीन महीने बाद फिर खुले सैलून

 

 

मुंबई। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाई पाबंदियों में ढील देते हुए रविवार को तीन महीने बाद मुंबई में कुछ सैलून खुले जबकि कर्मियों की कमी के कारण कई सैलून बंद रहे।

कोविड-19 निषिद्ध क्षेत्रों के तहत आने वाले पार्लर और सैलून हालांकि नहीं खुले।

अपनी दुकानों को फिर से खोलने वाले सैलून मालिकों ने कहा कि वे अपने ग्राहकों के तापमान की जांच करने, उन्हें दुकान में प्रवेश करने से पहले सैनेटाइजर का इस्तेमाल करने और बारी-बार से ग्राहकों को सेवा देने जैसे सरकार के दिशा निर्देशों का पालन कर रहे हैं।

कुछ सैलून मालिकों ने कम संख्या में लोगों के आने की शिकायत करते हुए कहा कि लोगों को सैलून की सेवा लेने से डर लग रहा है।

महाराष्ट्र सरकार ने पहले कहा था कि सैलून और ब्यूटी पार्लरों को रविवार से फिर से खोलने की अनुमति दी जाएगी लेकिन सीमित संख्या में ही लोगों को आने की अनुमति होगी और ग्राहकों को पहले से आने का समय लेना होगा।

सरकार के ‘मिशन बिगिन अगेन’ के चौथे चरण के तौर पर जारी संशोधित दिशा निर्देशों के अनुसार अभी केवल चयनित सेवाओं जैसे कि बाल कटवाने और रंग करवाने, वैक्स तथा थ्रेडिंग कराने की ही अनुमति होगी। सरकार ने त्वचा से संबंधित सेवाओं की अभी अनुमति नहीं दी है।

वर्ली में ‘मेक ओवर’ सैलून के मालिक शैलेश सुर्वे ने कहा कि उन्होंने अपना सैलून खोल दिया है लेकिन बारी-बारी से ही ग्राहकों को आने की अनुमति है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम दस से दोपहर 12 बजे, 12 बजे से तीन बजे और तीन बजे से छह बजे की प्रत्येक अवधि में तीन ग्राहकों को सेवा दे रहे हैं। ग्राहक पहले से समय लेकर हमारे पास आ रहे हैं लेकिन हम हर किसी को आने नहीं दे रहे हैं क्योंकि हमें सरकार के नियमों का भी पालन करना है।’’

सुर्वे ने बताया, ‘‘हम हर ग्राहक के लिए नए तौलिए का इस्तेमाल कर रहे हैं और बाल काटने के लिए कुर्सियों को सैनेटाइज कर रहे हैं। मैंने सुबह करीब आठ बजे अपनी दुकान खोली और पहले दिन ही अच्छे-खासे लोग आए। हम पिछले तीन महीने से घर में बैठे थे लेकिन अब हम कमाई कर सकते हैं।’’

वहीं उपनगर सांताक्रूज में एक सैलून के मालिक इरशाद खान ने कहा कि उन्होंने तीन महीने बाद दुकान खोली लेकिन उतने लोग नहीं आए जितने पहले रविवार के दिन आया करते थे।

बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लैक्स में एक सैलून के मालिक परवेज अंसारी ने कहा कि उन्होंने कर्मचारियों की कमी के कारण अपना सैलून नहीं खोला।

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