फरीदाबाद के निजी स्कूलों का फैसलाः फीस अदा न करने पर ऑनलाइन क्लास से कटेगा नाम

 

फरीदाबाद। निजी स्कूलों की हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कांफ्रेंस (एचपीएससी) ने निर्णय किया कि जून तक फीस अदा न करने पर बच्चों का जुलाई में ऑनलाइन क्लास से नाम काट दिया जाएगा। इसके अलावा कोई भी निजी स्कूल ‘नो ड्यूस’ या ‘क्लीयरेंस सर्टिफिकेट’ के बिना किसी बच्चे को दाखिला नहीं देगा।

Decision of private schools in Faridabad: name will be delisted from online class for not paying fees

एचपीएससी के एक प्रवक्ता ने मीडिया से कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते देश में हुए लॉकडाउन का असर सभी वर्गों पर पड़ा है। ऐसा ही एक वर्ग निजी स्कूल है, जिन पर लॉकडाउन के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी इतना विपरीत असर पड़ा है कि प्रदेश के कुछ स्कूल तो बंद होने की कगार पर हैं।

उन्होने कहा कि जहां एक ओर निजी स्कूलों ने लॉकडाउन के कुछ ही दिन में ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी थीं, ताकि विद्यार्थियों की पढाई का नुकसान न हो, वहीं दूसरी ओर आम आदमी को राहत देने के उद्देश्य से हरियाणा सरकार द्वारा जारी किये गए एक के बाद एक आदेशों ने हर तरफ ऊहापोह की स्थिति पैदा कर दी। इसके चलते अभिभावकों ने फीस जमा नहीं की।

हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कांफ्रेंस (एचपीएससी) के जिला अध्यक्ष सुरेश चंदर ने बताया कि सरकारी आदेशों में स्पष्ट न होने के कारण प्रदेश के निजी स्कूलों को अभी तक केवल 10 से 12 प्रतिशत फीस ही मिली है, जिसमें अप्रैल से जून तक की फीस शामिल हैं। उन्होंने बताया कि कुछ मामलों में तो मार्च तक की फीस अदा नहीं की गई है।

उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति को देखते हुए संस्था ने जिला स्तर पर सभी स्कूलों के साथ मिलकर भविष्य के लिए रणनीति तय करने के उद्देश से एक ऑनलाइन मीटिंग का आयोजन किया।

इस मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष एसएस गुसाईं मुख्य वक्ता रहे।

उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति में सबसे जरूरी यह है कि सभी मेम्बर अपनी एकता का परिचय दें। किसी भी प्रकार का कोई बयान अपने साथी स्कूलों के विषय में न दें।

उन्होंने कहा कि जब से हमारी संस्था का गठन हुआ है। हमने अनेक तरह की चुनौतियों का सामना सफलतापूर्वक किया है।
उन्होंने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि हम एकजुट रहें और भविष्य में लिए जाने फैसलों पर आपसी विचार-विमर्श करके नीति निर्धारित करें।

उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते जो परिस्थिति बनी है, उसके विषय में न तो किसी को भी कुछ ज्ञान था और न ही इस विषय को लेकर सरकार और निजी क्षेत्र ने कोई नीति बनाई हुई थी। इसी लिए परिस्थितियां नियंत्रण से बाहर भी गई हैं।

उन्होंने कहा कि हरियाणा के स्कूलों की स्थिति देश के अन्य राज्यों से भिन्न है, क्योंकि जहां अन्य राज्यों ने इस परिस्थिति को देखते हुए आवश्यक निर्देश समय रहते जारी कर दिए थे। वहीं हरियाणा सरकार किन्हीं कारणों से स्पष्ट आदेश न देकर बार-बार अलग-अलग आदेश जारी करती रही। इसका असर यह हुआ कि अध्यापकों ने फीस जमा नहीं की और अगले आदेशों के आने का इंतजार की बात करते हुए बहाने बनाते रहे।

जिला अध्यक्ष फरीदाबाद सुरेश चंदर ने सदस्यों को अलग-अलग पटल पर चल रहे कानूनी केसों से अवगत करवाया।

उन्होंने बताया कि समय-समय पर जारी किये जाने वाले विरोधाभासी सरकारी आदेशों के कारण संस्था का पक्ष रखने के लिए वे स्वयं अपने अन्य साथियों के साथ शिक्षा विभाग और मंत्रालय में जाकर गुहार लगाते रहे, लेकिन सरकार की न जाने क्या मजबूरी रही कि वो स्कूलों के प्रयासों को अनदेखा करते हुए एकतरफा आदेश देती रही। इसी लिए अलग-अलग स्तर पर संस्था को कानूनी केस भी डालने पड़े हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की अन्य स्कूल संस्थाओं ने भी ऐसे ही केस डाले हैं, लेकिन किसी का भी फैसला स्कूलों की समस्या का समाधान नहीं करता है।

उन्होंने बताया कि एचपीएससी के मामले की सुनवाई उच्च न्यायलय में 7 सितम्बर को है।

नरेन्द्र परमार और अर्पण पांडा ने एक स्कूल की फीस जमा न करते हुए दूसरे स्कूलों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों पर लगाम लाने का विषय उठाया। सभी सदस्यों के सुझाव सुनने के बाद संस्था ने कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए।

संस्था के सचिव डॉ सुमित वर्मा ने बताया कि जो महत्वपूर्ण फैसले सर्वसम्मति से लिए गए, उनमें एक फैसला है कि किसी भी विद्यार्थी को स्कूल में दाखिला लेने के लिए पिछले स्कूल का ‘नो ड्यूस’ या ‘क्लीयरेंस सर्टिफिकेट’ देना पड़ेगा। इस सर्टिफिकेट के न होने पर कोई भी निजी स्कूल ऐसे विद्यार्थी को एडमिशन नहीं देगा।

सुमित ने कहा कि इसके अलावा एक बड़ा फैसला लिया गया। उसके अनुसार जिन विद्यार्थियों ने जून तक की फीस जमा नहीं की है, उन्हें जुलाई महीने के लिए ऑनलाइन कक्षाओं में दाखिला नहीं दिया जायेगा।

यह भी फैसला लिया गया कि सरकारी आदेश के अनुसार कोई भी स्कूल केवल ट्यूशन फीस की ही मांग करे। अन्य मदों में की जाने वाली मांग फिलहाल स्थगित रखी जाए। परिस्थितियों के अनुकूल होने पर इस विषय में फैसला लिया जाए।

सभी सदस्यों की इस विषय में सहमती बनी कि कोई भी स्कूल अन्य स्कूलों पार टीका टिप्पणी न करे, क्योंकि जहां कुछ समस्याएं सबकी साझा हैं, वहीं कुछ ऐसी भी समस्याएं हैं, जो हर स्कूल की अलग-अलग हैं। इन समस्याओं का समाधान जहां उन स्कूलों को स्वयं करना हैं वहीं कॉमन समस्याओं पर संस्था अपने स्तर पर काम करती रहेगी और सभी शाखाओं को इस विषय में सूचित करती रहेगी।

यह भी फैसला लिया गया कि जिन समस्याओं का सामना निजी स्कूल कर रहे हैं और इनके समाधान का लिए जो भी निर्णय लिए गए हैं, उनका प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है, ताकि समाज और मीडिया को यह पता चले कि स्कूल किन हालात में काम कर रहे हैं। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि संस्था ने माना कि कोई भी कार्यवाही की जाए, उसके केंद्र में विद्यार्थियों का भविष्य जरूर रखा जाए।

कुछ सदस्यों ने मान्यता से सम्बंधित अपनी समस्याओं की चर्चा की। इस विषय में यह फैसला किया गया कि ये समस्याएं व्यक्तिगत स्कूल के स्तर पर सुलझाने का प्रयास किया जाना चाहिए।

इस बैठक में साकेत भाटिया, विजय लक्ष्मी शर्मा, डॉ. सुभाष श्योराण आदि ने भी अपने विचार रखे। बैठक में न केवल एग्जीक्यूटिव बॉडी बल्कि फरीदाबाद के स्कूलों के चेयरमैन, डायरेक्टर और प्राध्यापकों आदि ने भी भाग लिया।

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