बीजिंग। चीन के अत्याचार के खिलाफ अब वीगर मुस्लिम अपनी आवाज बुलंद करने लगे हैं। मुस्लिमों ने यह साफ कर दिया है कि जब तक उन्हें चीन के अत्याचार से आजादी नहीं मिल जाती, उनका संघर्ष जारी रहेगा। पूर्वी तुर्किस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बड़ी संख्या में वीगर मुस्लिमों ने विरोध-प्रदर्शन किया।
Announcement of these Muslims will take revenge on China
Beijing, Uighur Muslims are now raising their voice against the tyranny of China. The Muslims have made it clear that until they get freedom from the tyranny of China, their struggle will continue. Uighur Muslims protested in large numbers on the occasion of Independence Day of East Turkistan.
प्रदर्शन के दौरान वीगर समुदाय के नेताओं ने कसम खाई कि जब तक चीन से आजादी नहीं मिल जाती, तब तक वह चौन से नहीं बैठेंगे।
बता दें कि पूर्वी तुर्किस्तान भी मध्य एशिया का एक स्वतन्त्र हिस्सा हुआ करता था, लेकिन चीन ने उस पर कब्जा कर लिया। इसे ही आज शिंजियांग प्रांत के रूप में जाना जाता है। यहां समय-समय पर आजादी के लिए प्रदर्शन होते रहते हैं।
पीछे नहीं हटेंगे
चीन विरोधी प्रदर्शन में शामिल वीगर नेताओं ने कहा, ‘जब तक हम अपने लोगों को आजाद नहीं करा लेते तब तक हम आराम नहीं करेंगे। हम पीछे नहीं हटेंगे, हमारे अपने अधिकार हैं। हमारे पास आपके (चीन) अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार है और हम बताना चाहते हैं कि दुनिया का हर वीगर मुस्लमान एक सिपाही है, जो अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ेगा’।
कई देशों में हुए प्रदर्शन
12 नवंबर को पूर्वी तुर्किस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दुनियाभर के कई देशों में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए गए। पूर्वी तुर्किस्तान या शिंजियांग में 10 मिलियन वीगर हैं, जो लंबे समय से चीन के शोषण का शिकार हो रहे हैं।
कई रिपोर्ट में यह बात सामने आ चुकी है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार मुस्लिमों को तरह-तरह से प्रताड़ित करती है। उनसे जबरन श्रम करवाया जाता है, उनकी आबादी घटाने के लिए जबरन गर्भपात भी कराया जाता है।
अमेरिका रहा है मुखर
अमेरिका इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाता रहा है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने मुस्लिमों पर अत्याचार के मद्देनजर चीन के खिलाफ कई कड़े कदम उठाये हैं। कुछ वक्त पहले अमेरिका ने शिंजियांग प्रांत निर्मित सभी उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी थी, क्योंकि वहां वीगर मुस्लिमों से बंधुआ मजदूरों की तरह काम करवाया जाता है।
इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी ट्रंप सरकार चीन के इस अमानवीय कृत्य को पुरजोर तरीके से उठाती आई है। अब जब अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हो गया है, यह देखने वाली बात होगी कि नए राष्ट्रपति का इस मुद्दे पर क्या रुख रहता है।