नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार यानी 2 दिसंबर को रोहिंग्या शरणार्थियों के मामले में सुनवाई हुई. पांच रोहिंग्या शरणार्थियों की कथित कस्टोडियल डिसअपीयरेंस (हिरासत में गायब होने) की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस सूर्य कांत की बेंच ने सख्त टिप्पणी की. उन्होंन कहा- ‘जो अवैध रूप से देश में घुसते हैं, उनके लिए हम रेड कार्पेट तो नहीं बिछा सकते.’ कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया. इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर तक टाल दी गई है, जब रोहिंग्या से जुड़े अन्य मामले भी सूचीबद्ध हैं.
सुप्रीम कोर्ट से 5 रोहिंग्या शरणार्थियों कस्टोडियल डिसअपीयरेंस पर केंद्र को नोटिस जारी करने की अपील की गई थी. हालांकि, सीजेआई की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भेजने से साफ इनकार कर दिया. सुनवाई के दौरान बेंच ने कड़ा रुख दिखाते हुए कहा, ‘आप जानते हैं कि ये लोग घुसपैठिए हैं. हमारे नॉर्थ-ईस्ट का बॉर्डर बहुत संवेदनशील है.’
उन्होंने आगे टिप्पणी करते हुए कहा, ‘देश में क्या-क्या हो रहा है, आप जानते हैं? अगर कोई गैरकानूनी तरीके से आता है… तो क्या आप चाहते हैं कि हम उनके लिए रेड कार्पेट बिछाएं? वो सुरंगों से अंदर आते हैं और फिर आप कह रहे हैं कि उन्हें खाना, आश्रय, बच्चों के लिए शिक्षा… क्या हम कानून को इतना खींच दें? हैबियस कॉर्पस जैसी बातें बहुत कल्पनात्मक हैं.
सीजेआई ने आगे कहा, ‘हेबियस कॉर्पस मांगना बहुत फैंसी बातें हैं. ये लोग अवैध प्रवासी हैं.’ बेंच ने यह भी टिप्पणी की कि देश की सुरक्षा और सीमाओं की स्थिति को देखते हुए ऐसी याचिकाओं पर सहानुभूति दिखाना आसान नहीं है. याचिका में मांग की गई थी कि पांच रोहिंग्या शरणार्थियों को पुलिस हिरासत से ‘गायब’ कर दिया गया है और कोर्ट उनके ठिकाने का पता लगाने का आदेश दे.
दरअसल, रोहिंग्या मुद्दा पिछले कई सालों से विवादास्पद रहा है. केंद्र सरकार बार-बार कहती आई है कि रोहिंग्या भारत के नागरिक नहीं हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं. 2017 में भी सुप्रीम कोर्ट ने उनके निर्वासन पर रोक लगाने से इनकार किया था. अभी देशभर में करीब 40,000 रोहिंग्या रह रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर बिना वैध दस्तावेज के हैं.
भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की जनसंख्या का अनुमान लगाना काफी मुश्किल है क्योंकि ये अवैध रूप से देश अलग-अलग हिस्सों में छिपे रहते हैं. लेकिन, अनुमानित संख्य 20,000-40,000 हो सकती है. शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त का कार्यालय के पास 18,000-22,500 रोहिंग्या रजिस्टर्ड हैं. लेकिन, कुल संख्या 40,000 से ज्यादा ही हो सकती है. म्यांमार 2017 की हिंसा के बाद इनकी संख्या बढ़ी है. भारत उन्हें अवैध प्रवासी मानता है. 2025 में 38 रोहिंग्या निर्वासित हुए हैं.
मीडिया और अन्य रिपोर्ट्स के मुताबिक जम्मू-कश्मीर (जम्मू क्षेत्र) में सबसे ज्यादा है. यहां पर लगभग 5,700-11,000 से ज्यादा रोहिंग्या रहते हैं. इसके बाद हैदराबाद (तेलंगाना) में 7,200, दिल्ली-NCR में 5,000 से ज्यादा, हरियाणा के नूह में, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में भी रोहिंग्या रहते हैं. जम्मू में इनके स्लम्स और डिटेंशन कैंप मुख्य ठिकाने हैं.
ये रोहिंग्या मुख्य रूप से बांग्लादेश के रास्ते पूर्वी सीमा (त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, असम) से घुसते हैं. बांग्लादेश कैंपों से ट्रांजिट होते हुए तस्करों की मदद से पैदल या नाव या फिर म्यांमार बॉर्डर से सीधे मिजोरम-अरुणाचल होते हुए नॉर्थ-ईस्ट पहुंच जाते हैं. फर्जी कागज की मदद से वे फ्लाइट और ट्रेन के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों में घुसते हैं. बताते चलें कि BSF ने 2025 में पूर्वी बॉर्डर पर 3 गुना ज्यादा पकड़े थे.
