लद्दाख। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव बढ़ने के साथ ही सेना ने सर्दियों के सीजन में लंबे टकराव की तैयारी शुरू कर दी है। भारतीय सेना वहां बोफोर्स होवित्जर तोपें तैनात करने की तैयारी कर रही है। उधर, फॉरवर्ड लोकेशन पर साजो-सामान की सप्लाई के लिए वायुसेना ने सबसे बड़े ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-17 ग्लोबमास्टर और आईएल-76 ल्यूशिन को तैनात किया है। इनके साथ ही चिनूक हेलिकॉप्टर भी इस काम में लगा है।
Deployment of Bofors cannons begins in Ladakh to teach lessons from China
Ladakh. As tensions with China escalate in eastern Ladakh, the army has started preparations for a long confrontation during the winter season. The Indian Army is preparing to deploy Bofors howitzer cannons there. On the other hand, the Air Force has deployed the largest transport aircraft C-17 Globemaster and IL-76 Lushin to supply equipment at the forward location. Along with this, Chinook chopper is also engaged in this work.
सेना ने फॉरवर्ड लोकेशन पर बिना रुकावट और तेज सप्लाई का मैकेनिज्म डेवलप किया है। सी-17, आईएल-76 एयरक्राफ्ट रोज टेंट, कपड़े,खाने का सामान, पानी की बोतलें जैसी चीजें लेकर लद्दाख जा रहे हैं।
लद्दाख के अलग-अलग इलाकों में सी-17 और आईएल-76 सामान पहुंचाते हैं। वहां इन्हें आर्मी सैनिटाइज करती है और इसके बाद चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए इन्हें फॉरवर्ड लोकेशन पर पहुंचाया जाता है।
दिनभर चिनूक के जरिए विभिन्न फॉरवर्ड लोकेशन पर सप्लाई का काम चलता है। आर्मी अफसर ने न्यूज एजेंसी को बताया कि विभिन्न राज्यों से ये सामान लद्दाख लाने और फिर फॉरवर्ड लोकेशन पर भेजने में कुछ घंटों का वक्त लगता है।
इंजीनियर बोफोर्स तोपों की सर्विसिंग में जुटे
न्यूज एजेंसी एएनआई ने बुधवार को यह जानकारी दी। इसके मुताबिक, सेना के इंजीनियर बोफोर्स तोपों की सर्विसिंग में जुटे हैं। ये तोपें कुछ दिनों में बॉर्डर पर तैनात कर दी जाएंगी। फॉरवर्ड लोकेशंस पर आर्मी की तैयारियों के सिलसिले में सर्विसिंग और मेंटेनेंस के काम को लेकर लेफ्टिनेंट कर्नल प्रीति कंवर ने जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि वर्कशॉप में आर्मी के इंजीनियर उन हथियारों के मेंटेनेंस का ध्यान रखते हैं, जिनकी विशेष परिस्थितियों में जरूरत होती है। टेक्निकल स्टोर ग्रुप्स एक टैंक की फायरिंग पिन से लेकर इंजन तक हर चीज मुहैया करवाते हैं। मोबाइल स्पेयर्स वैन के जरिए हम फॉरवर्ड इलाकों में टेक्नीशियंस को कंपोनेंट पहुंचाते हैं।
बोफोर्स तोपों ने पाकिस्तान में मचाई थी तबाही
बोफोर्स तोपें 1980 में सेना में शामिल की गई थीं। ये लो और हाई एंगल से फायरिंग कर सकती हैं। ये तोपें युद्ध जिताने में मददगार रही हैं।
1999 में पाकिस्तान के खिलाफ करगिल की जंग जिताने में भी इनकी अहम भूमिका रही थी। बोफोर्स तोपों ने बहुत ज्यादा ऊंची पहाड़ियों पर बने पाकिस्तान के बंकरों और ठिकानों को आसानी से तबाह कर दिया था। इससे पाकिस्तान की सेना को भारी नुकसान हुआ था।
20 दिन में 3 बार गोलियां चलीं
लद्दाख में भारत-चीन के बीच मई से तनाव बना हुआ है। 15 जून को गलवान में दोनों देशों की झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए, लेकिन उसने कबूला नहीं। ताजा विवाद 29-30 अगस्त की रात से शुरू हुआ, जब चीन ने पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी छोर की पहाड़ी पर कब्जे की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय जवानों नाकाम कर दी। बीते 20 दिन में दोनों तरफ से 3 बार हवा में गोलियां चल चुकी हैं।