फरीदाबाद। अब संशय नहीं कि प्रभु श्री राम का मंदिर बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। राम लला गर्भग्रह में प्रवास करेंगे। कितना सुखद आभास है यह सब लिखना और सुनना। किंतु राम लला के लिए पिछली 5 शताब्दियों में सनातन धर्मियों ने चंडी का खप्पड़ भरा है, तब आद्य शक्ति की अनुकंपा से आज राम लला को छत मिल रही है। इसलिए अब तक जिन-जिन नाम और अनाम योद्धाओं ने इस हेतु प्राणोत्सर्ग किया, वे सब हर सनातन धर्मी को अपना ऋणी बना गए हैं।
Do not forget these warriors of Ram Janmabhoomi, do not forget
Faridabad. Now there is no doubt that the temple of Lord Shree Rama will be built on 5 August. Ram Lala will stay in the Garbhagriha. What a pleasant feeling to write and hear all this. But for Ram Lala, in the last 5 centuries, Sanatan religions have slapped Chandi, then due to the Adi Shakti compassion, Ram Lala is getting a roof today. Therefore, all the names and anonymous warriors who have sacrificed for this have become indebted to every Sanatan righteous. Chief Minister Yogi should build a war memorial in Ayodhya for all these Janmabhoomi warriors and their names and contributions should be carved on the Shilapatta, who have sacrificed or given life for the Janmabhoomi.
मुख्यमंत्री योगी इन सभी जन्म भूमि योद्धाओं के लिए अयोध्या में ही एक युद्ध स्मारक बनवाएं और शिलापट्ट पर उनके नाम और योगदान उकेरे जाएं, जिन्होंने जन्म भूमि के लिए बलिदान या जीवनदान किया है।
रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के योद्धा
- 1992 में विवादित ढांचा ढहाए जाने से कुछ समय पहले से अयोध्या देश-दुनिया में जाना जाने लगा और राम मंदिर आंदोलन से जुड़े राजनेताओं और साधु-संतों के साथ बाबरी मस्जिद के पक्षकारों के नाम और काम सुर्खियों का हिस्सा बनते रहे। जबकि राम मंदिर के लिए इतिहास में सनातन धर्मियों और उनके सहधर्मियों ने 76 युद्ध लड़े थे।
- युगों के सफर में यह मंदिर और अयोध्या जीर्ण-शीर्ण हुई, तो विक्रमादित्य नाम के शासक ने इसका उद्धार किया।
- मीर बाकी ने 1528 में जिस मंदिर को तोड़ा था, उसे 57 ई.पू. में युग प्रवर्तक राजाधिराज की उपाधि ग्रहण करने वाले विक्रमादित्य ने ही निर्मित कराया था।
- बताया जाता है कि बाबर के आदेश पर उसके सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में बने राम मंदिर को 21 मार्च, 1528 को तोप से ध्वस्त कराया था।
- तुलसीदास की ‘दोहाशतक’ नाम की कृति में राम मंदिर गिराने का जिक्र है और उसमें मीर बाकी के नाम का भी उल्लेख किया गया है।
- पारंपरिक स्रोतों से प्राप्त इतिहास के अनुसार राम मंदिर की वापसी के लिए 76 युद्ध लड़े गए।
- जिस वर्ष मंदिर तोड़ा गया, उसी वर्ष पास की भीटी रियासत के राजा महताब सिंह, हंसवर रियासत के राजा रणविजय सिंह, रानी जयराज कुंवरि, राजगुरु पं. देवीदीन पांडेय आदि के नेतृत्व में मंदिर की मुक्ति के लिए जवाबी सैन्य अभियान छेड़ा गया। शाही सेना को उन्होंने विचलित जरूर किया पर, पार नहीं पा सके। 1530 से 1556 ई. के मध्य हुमायूं एवं शेरशाह के शासनकाल में 10 युद्धों का उल्लेख मिलता है।
- हिंदुओं की ओर से इन युद्धों का नेतृत्व हंसवर की रानी जयराज कुंवरि एवं स्वामी महेशानंद ने किया। रानी स्त्री सेना का और महेशानंद साधु सेना का नेतृत्व करते थे। इन युद्धों की प्रबलता का अंदाजा रानी और महेशानंद के साथ उनके सैनिकों की शहादत से लगाया जा सकता है।
1556 से 1605 ई. के बीच अकबर के शासनकाल में 20 युद्धों का जिक्र मिलता है। इन युद्धों में अयोध्या के ही संत बलरामाचार्य बराबर सेनापति के रूप में लड़ते रहे और अंत में वीरगति प्राप्त की। इन युद्धों का परिणाम रहा कि अकबर को इस ओर ध्यान देने के लिए विवश होना पड़ा। - अकबर ने बीरबल और टोडरमल की राय से बाबरी मस्जिद के सामने चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की इजाजत दी। अकबर के ही वंशज औरंगजेब की नीतियां कट्टरवादी थीं और इसका मंदिर-मस्जिद विवाद पर भी असर पड़ा। 1658 से 1707 ई. के मध्य उसके शासनकाल में राम मंदिर के लिए 30 बार युद्ध हुए।
- विभिन्न काल खंड में युद्धों का नेतृत्व बाबा वैष्णवदास, कुंवर गोपाल सिंह, ठाकुर जगदंबा सिंह आदि ने किया। माना जाता है कि इन युद्धों में दशम गुरु गोबिंद सिंह ने निहंगों को भी राम मंदिर के मुक्ति संघर्ष के लिए भेजा था और आखिरी युद्ध को छोड़ कर बाकी में हिंदुओं को कामयाबी भी मिली थी। ऐसे में समझा जा सकता है कि इस दौर में मंदिर समर्थकों का कुछ समय के लिए राम जन्मभूमि पर कब्जा भी रहा होगा और औरंगजेब ने पूरी ताकत से उसे छुड़वाया होगा।
- राम मंदिर के लिए बाबर के विरुद्ध 1528 से 1530 के मध्य भीटी नरेश महताब सिंह, हंबर के राजगुरू देवीदीन पांडेय, हंसबर के राजा रणविजय सिंह, हंसबर की रानी जयराज कुमारी ने 4 युद्ध लड़े।
- राम मंदिर के लिए हुमायूं के विरुद्ध 1530 से 1556 तक साधुओं की सेना लेकर स्वामी महेशानंद गिरि, स्त्रियों की सेना लेकर रानी जयराज कुमार ने 10 युद्ध लड़े।
- राम मंदिर के लिए अकबर के विरुद्ध 1556 से 1606 तक स्वामी बलरामाचार्य जी ने निरंतर 20 युद्ध लड़े।
- राम मंदिर के लिए औरंगजेब के विरुद्ध 1658 से 1707 तक बाबा वैष्णवदास, खालसा सजाने वाले गुरू गोविंद सिंह, कुंवर गोपाल सिंह, ठाकुर
- जगदंबा सिंह और ठाकुर गजराज सिंह ने 30 युद्ध लड़े।
- राम मंदिर के लिए नवाब सआदत अली के विरुद्ध 1770 से 1814 तक अमेठी के राजा गुरुदत्त सिंह और पिपरा के राजा राजकुमार सिंह ने 5 युद्ध लड़े।
- राम मंदिर के लिए नासिरुद्दीन हैदर के विरुद्ध 1814 से 1836 तक मकरही के राजा ने 3 युद्ध लड़े।
- राम मंदिर के लिए वाजिदअली शाह के विरुद्ध 1847 से 1857 तक बाबा उद्धवदास, श्रीरामचरण दास और गोंडा नरेश देवी बख्श सिंह ने 2 युद्ध लड़े।
- राम मंदिर के लिए वाजिद अली शाह के विरुद्ध 1912 से 1934 तक साधु समाज और हिंदू जनता ने सम्मिलित रूप से 2 युद्ध लड़े।
- खालसा पंथ के वे निहंग, जिनके विरुद्ध अयोध्या की कोतवाली में पहली एफआईआर दर्ज हुई कि अचानक निहंगों का एक जत्था राम लला के मंदिर में जा घुसा और कीर्तन करने लगा है।
- राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते विवादित स्थल का ताला खोला गया।
- लाल कृष्ण आडवाणी ने पूरे देश में रथ यात्रा निकालकर अयोध्या विवाद को जनभावना से जोड़ा।
- तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में राममंदिर विवादित ढांचे से मुक्त हुआ।
- वे लोग राममुक्ति आंदोलन में पुलिस की गोलियों के शिकार हुए
- साधु अभिरामदास, महंत दिग्विजय नाथ, बाबा राघवदास, महंत रामचंद्र परमहंस, गीता प्रेस के संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार। 23 दिसंबर 1949 को मस्जिद में मूर्ति रखने की घटना ने इस मसले को अलग स्तर पर पहुंचा दिया. विवादित इमारत में भगवान राम की मूर्ति रखे जाने की घटना के सूत्रधार कौन थे, इसको लेकर कई तरह के मत हैं. हालांकि, मस्जिद में जाकर मूर्ति रखने का काम निर्वाणी अखाड़े के साधु अभिरामदास ने किया था। लेकिन, इसके योजनाकारों में जिन लोगों का नाम लिया जाता है। उनमें गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजय नाथ, बाबा राघवदास और दिगंबर अखाड़े के महंत रामचंद्र परमहंस शामिल हैं। इस गोपनीय योजना के व्यवस्थापक थे गीता प्रेस के संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार।
- अब्दुल बरकत। पुलिस को दिए अपने बयान में अब्दुल बरकत ने कहा, ‘मैं बाबरी मस्जिद की ड्यूटी पर तैनात था। तभी बाबरी मस्जिद के अंदर से एक रोशनी उठी जो धीरे-धीरे सुनहली होती गई। भीतर एक चार-पांच साल के बच्चे की सूरत नजर आई। ऐसा खूबसूरत बच्चा मैंने अपनी जिंदगी में नहीं देखा था। जब मुझे होश आया, तो मैंने देखा कि सदर दरवाजे का ताला टूटा हुआ है और हिंदुओं की भीड़ एक बुत की आरती कर रही है। इसके अलावा मैं कुछ नहीं जानता।’ राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने के लिए बनाई गई कार्यशाला में अब्दुल बरकत के इस बयान का बाकायदा बोर्ड लगा हुआ है।
- केकेके नायर। केकेके नायर फैजाबाद के जिलाधिकारी थे और इन्हीं के कार्यकाल के दौरान मूर्ति रखीं गईं थीं। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने विवादित परिसर से मूर्तियां हटाने के लिए कहा, तो उत्तर प्रदेश सरकार ने भी मूर्तियां हटाने का आदेश जारी किया। लेकिन, केकेके नायर ने फिर सरकार को लिखा कि दंगे और खून-खराबा होने की आशंका को देखते हुए मूर्तियां नहीं हटाई जा सकतीं।
राममंदिर के लिए इनके विभिन्न योगदान रहे
- महंत अवैद्यनाथ
- कूनराड एल्स्ट
- सीताराम गोयल
- राम स्वरूप
- अरुण शौरी
- गिरिलाल जैन
- एसपी गुप्ता
- केएस लाल
- आभास चटर्जी
- स्वपन दासगुप्ता
- सुब्रमण्यम स्वामी
- अशोक सिंहल
- विनय कटिहार
- पूर्व मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और एस. अब्दुल नजीर
एडवोकेट के. परासरन-पूर्व अटार्नी जनरल परासरन ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में बहस करते हुए पौराणिक तथ्यों के आधार पर मंदिर होने की दलीलें पेश कीं। - एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन-सुप्रीम कोर्ट में सीएस वैद्यनाथन पेश हुए और उन्होंने एएसआइ की रिपोर्ट की प्रासंगिकता व वैधता के आधार पर पक्ष को सबल किया।
- एडवोकेट पीएस नरसिम्हा-सुप्रीम कोर्ट में पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नरसिम्हा पेश हुए और उन्होंने पुराणों की बात को मजबूती से पेश किया।
- एडवोकेट रंजीत कुमार- हिंदू पक्षकारों की ओर से पूर्व सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने पूजा का हक मांगने वाले गोपाल सिंह विशारद की ओर से बहस की।
- एडवोकेट पीएन मिश्रा-अखिल भारत श्रीराम जन्म भूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से पीएन मिश्रा सुप्रीम कोर्ट में बहस की और अपनी बात रखी।
- एडवोकेट हरिशंकर जैन-अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से हरिशंकर जैन सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने मंदिर के पक्ष में दलीलों को रखा था।
- एडवोकेट सुशील कुमार जैन-निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील कुमार जैन ने सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे और उन्होंने न्यायालय बहस की और मंदिर पर दावा पेश किया था।
- एडवोकेट जयदीप गुप्ता- सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता निर्वाणी अखाड़ा के धर्मदास की ओर से अदालत में बहस हिस्सा लिया था।
अभी भी लगता है कि यह सूची अधूरी है।
इसलिए योगी प्रशासन को जनता से अन्य नामों और उनके योगदान का विवरण आमंत्रित किया जाना चाहिए।
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हिंट न्यूज की सभी राम मंदिर योद्धाओं को नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि।