नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में ई-दर्शन, दर्शन करना नहीं होता है। कोरोना संकट काल में सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम टिप्पणी झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में भक्तों को दर्शन के लिए केवल ई-दर्शन की इजाजत होने पर की।
E-darshan in temple has no meaning, why only religious places are locked in unlock: Supreme Court
New Delhi. The Supreme Court said that e-darshan, darshan is not done in the temple. In the Corona crisis, the Supreme Court made this important comment only when devotees were allowed to visit the Baba Baidyanath temple in Deoghar, Jharkhand for e-darshan. The Supreme Court has asked the state government not to rush during the corona crisis, so why do the devotees not arrange a limited number of darshans in the temple?
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि कोरोना संकट काल में भीड़ न लगे, इसके लिए भक्तों को मंदिर में सीमित संख्या में दर्शन करने की व्यवस्था क्यों नहीं करते?
इस मामले में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें हाई कोर्ट ने इस मंदिर में लोगों को ई-दर्शन की ही इजाजत दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब जब देश खुल रहा है, तो केवल धार्मिक स्थल ही क्यों बंद हैं? अगर संपूर्ण लॉकडाउन हो तो यह अलग बात है, लेकिन अब जब अन्य चीजें खोली जा रही हैं, तो फिर मंदिरों, मस्जिदों और चर्चों को भी कम से कम महत्वपूर्ण अवसरों पर तो खोला जाना चाहिए।
सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने देवघर के बैद्यनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को सीमित संख्या में जाने देने की बात कही है।
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को ये सुझाव दिया कि उसे इस बारे में व्यवस्था बनानी चाहिए, जिसके लिए श्रद्धालुओं को ई-टोकन जारी करना भी एक तरीका हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आने वाली पूर्णमासी और भादो महीने में नई व्यवस्था लागू करने की कोशिश की जाए।