चंडीगढ़। राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों की पेंशन बंद करना और उनके परिवारजनों को मिलने वाली योजनाओं को रोकना शहीदों और स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों के प्रति कृतघ्नता ही नहीं घोर पाप है। हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए बलिदान दिया और देशवासियों को पराधीनता की बेड़ियों में न रहना पड़े इसके लिए अपना सारा जीवन जेल की काल कोठरियों में गुजार दिया। जो राष्ट्र अपने शहीदों और स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों को अपमानित करता है वो कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता। उनके त्याग और बलिदान की वजह से ही आज लोग मुख्यमंत्री और मंत्री बन पाये, देश का संविधान लागू हुआ।
Haryana government apologizes to freedom fighters: Dependra Hooda
Chandigarh. Rajya Sabha MP Deepender Hooda said that withholding the pension of freedom fighters and stopping the schemes to their families, gratitude to the martyrs and freedom fighters is not just a sin.
दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से मांग की, कि वो स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों और प्रदेश की जनता से सार्वजनिक माफी मांगे और तुरंत स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति का पुनर्गठन कर उनकी पेंशन आदि को शुरू करे।
उन्होंने कहा कि सयुंक्त पंजाब से व 1966 में हरियाणा बनने के बाद से हरियाणा स्वतंत्रता सैनानियों के सम्मान में स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति चली आ रही थी। जो स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों के मुद्दों और समस्याओं का समाधान करती थी और सरकार व स्वतंत्रता सेनानियों के बीच कड़ी का काम करती थी।
सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि कोरोना की आड़ में स्वतंत्रता सेनानियों व उनके आश्रितों के प्रति हरियाणा सरकार की बेरुखी हैरान करने वाली है। देश में आजादी की लड़ाई में हरियाणा की भूमिका सबसे अहम रही है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के आवाह्न पर उनके दादा स्व. चौ. रणबीर सिंह हुड्डा स्वयं स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे। आजादी की लड़ाई के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सब कुछ न्योछावर करके देश की आजादी के लिये काम किया, उसी का परिणाम है कि आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं।
सांसद दीपेन्द्र ने सवाल किया कि प्रदेश में चंद स्वतंत्रता सेनानी ही जीवित बचे हैं क्या उनकी पेंशन काटने से प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक हो जायेगी? उन्होंने यह भी बताया कि उनके दादा स्व. चौ. रणबीर सिंह हुड्डा स्वयं खुद भी इस स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति के चेयरमैन रहे हैं।
ज्ञात हो कि वर्तमान में हरियाणा में 18 स्वतंत्रता सेनानी जीवित हैं स्वतंत्रता सेनानियों की 422 विधवाएं तथा 34 आश्रित राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली पेंशन, भत्तों व अन्य सुविधाओं के हकदार हैं।
हरियाणा सरकार ने मई माह के दौरान समिति के चेयरमैन को पद मुक्त करने का फैसला लिया और तब से लेकर अब तक स्वतंत्रता सेनानियों, उनकी विधवाओं तथा आश्रितों को पेंशन नहीं मिली, और वे अपनी पेंशन आदि के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
यही नहीं स्वतंत्रता सेनानियों की पोतियों की शादी में सरकार द्वारा दी जाने वाली कन्यादान राशि भी छह माह से जारी नहीं की गई है।
देश को आजादी दिलवाने वाले हरियाणा प्रदेश में स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि पड़ोसी राज्यों पंजाब, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश गोवा, झारखंड, उत्तराखंड आदि में स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को नौकरियों में 2 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलता है। इसे लेकर स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों में प्रदेश सरकार के प्रति रोष है।
दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि हरियाणा का दुर्भाग्य है कि जब पूरी मानवता कोरोना से लड़ रही थी तब हमारे प्रदेश में सत्ता पर काबिज लोग हजारों करोड़ के शराब घोटाले व रजिस्ट्री घोटाले के माध्यम से जनता को लूटने में मगन थे। प्रदेश की सरकार ताबड़तोड़ घपले-घोटाले करने में लगी हुई है, इसी का नतीजा है कि प्रदेश की वित्तीय हालत खस्ता हो गई है। ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जब कोई नया घोटाला खुलकर सामने नहीं आता हो।
उन्होंने आगे कहा कि पूरा प्रदेश हाल में उजागर हुए शराब घोटाले और रजिस्ट्री घोटाले का गवाह है। सार्वजनिक तौर पर और मीडिया में जब इस हाईलेवल घोटाले का पर्दाफाश हो गया तो सरकार की तरफ से लगातार इस पर पर्दा डालने की कोशिशें हो रही हैं। उन्होंने अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि सभी घोटालों की निष्पक्ष जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराई जाए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।