चंडीगढ़। सरकार द्वारा रजिस्ट्रियों में हेराफेरी को रोकने के लिए लागू किए गए नए साफ्टवेयर में अब डेवलपमेंट चार्ज अदा करने के बाद ही रजिस्ट्री हो पाएगी। बता दें कि 120 रुपये प्रति स्कवेयर यार्ड का भुगतान के बाद ही साफ्टवेयर शहर की 26 कालोनियां व लाल डोरे में ही रजिस्ट्री कर रहा है। सबसे अधिक परेशानी तो पुराने मकान बेचने की स्थिति में डेवलपमेंट चार्ज मांगा जा रहा है।
Haryana: Registry of lands will be expensive, this fee will also be charged
Chandigarh. The new software, which has been implemented by the government to prevent misappropriation in registries, will now be registered only after paying the development charge. Please tell that only after paying Rs 120 per square yard, the software is registering only in the 26 colonies of the city and in Lal Dore. The most troublesome development charge is being sought in the event of selling old houses.
कंट्रोल एरिया को मान रहा अर्बन डीड राइटर राजेश बतरा ने बताया कि नए साफ्टवेयर में एक समस्या यह भी आ रही है कि दस किमी के एरिया को साफ्टवेयर अर्बन एरिया मानता है। जबकि यह शहर से बाहर का कंट्रोल एरिया है। अर्बन एरिया दिखाकर 2 फीसद स्टांप डयूटी मांगी गई है। उनके अनुसार साफ्टवेयर में जमीन पर ऋण लेने या जीपीए से रकबा बेचने में भी परेशानी आ रही है।
साफ्टवेयर में एक अन्य दिक्कत इंडस्ट्रीयल एरिया तथा ए से एफ ब्लॉक के मकानों की रजिस्ट्री को लेकर है। इस क्षेत्र की रजिस्ट्री नहीं हो रही है। इसी तरह चत्तरगढ़पट्टी, खैरपुर, शमशाबादपट्टी में इंतकाल बंद पड़े हैं और इस वजह से भी यहां रजिस्ट्रियां नहीं हो पा रही। बैंक कर्मचारी को लाने की भी शर्त।
वहीं सॉफ्टवेयर की कमी के चलते लोगों को बार बार चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जिन किसानों को लोन लेना पड़ रहा है या फिर जमीनों के इंतकाल निकलवाने पड़ रहे हैं। उनको बार बार ई दिशा केंद्रों और तहसील कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। किसानों का कहना है कि नये सॉफ्टवेयर की वजह से उन्हे बेवजह की घुमाया जा रहा है।