किसान विरोधी अध्यादेश वापिस न हुए तो देशव्यापी आंदोलन करेंगे: अम्बावता

फरीदाबाद। भाजपा सरकार द्वारा किसानों पर थोपे जा रहे अध्यादेशों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन (अ) खुलकर मैदान में आ गई है। पुलिस द्वारा किसानों पर लाठीचार्ज किए जाने के बाद हरियाणा सरकार की चौतरफा निंदा हो रही है। इस घटना के बाद किसान भाजपा सरकार को अत्याचारी, अहंकारी और निरंकुश सरकार कहकर संबोधित कर रहे हैं।

If the anti-farmer ordinance is not scrapped, countrywide movement will do: Ambavata

Faridabad. The Bharatiya Kisan Union (A) has come out in the field against the ordinances being imposed on the farmers by the BJP government. The Haryana government is undergoing all round condemnation after the police lathi-charged the farmers. After this incident, the farmers are addressing the BJP government as a tyrannical, arrogant and autocratic government.

हरियाणा के 17 किसान संगठनों  ने भाकियू को अपना समर्थन दिया, और इस लडाई को भारतीय किसान यूनियन (अ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. ऋषिपाल अम्बावता के नेतृत्व में लड़ने का फैसला यहां आयोजित एक किसान सभा में किया।

सभा में भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शमशेर दहिया, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्यवीर पुनिया, हरियाणा अध्यक्ष अनिल नांदल, बल्लू प्रधान, करनाल से सेवा सिंह आर्या, प्रदेश महामंत्री दिलबाग हुड्डा, प्रदेश सचिव भरतपाल भाटी, दादरी से फोजी रणवीर सांगवान, जिला फरीदाबाद अध्यक्ष सुंदर नागर, पलवल अध्यक्ष ऋषिपाल चौहान, युवा किसान नेता प्रवीण चौधरी सहित सैकडों किसान नेता मौजूद थे।

किसान सभा को संबोधित करते हुए भाकियू राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल अम्बावता ने कहा केन्द्र की भाजपा सरकार झूठी और नाकारा सरकार है। उन्होंने अपने जीवन में इतनी घटिया सरकार कभी नहीं देखी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव से पहले वर्ष 2014 में किसानों के लिए अनेक वायदे किए थे, मगर एक भी पूरा नहीं किया। किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने के बजाय उल्टे केन्द्र सरकार ने तीन नये अध्यादेश लाकर किसानों को सडक पर उतरने को मजबूर कर दिया है।

अम्बावता ने कहा फॉर्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस, एसेंशियल एक्ट 1955 में बदलाव और फॉर्मर्स अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस ऑर्डिनेंस (कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग) ये अध्यादेश नहीं हैं बल्कि किसानों का डैथ वारंट है। सरकार इन अध्योदशों की आड में अपने उद्योगपति सहयोगियों का लाभ पहुंचाना चाहती है।

उन्हांेने कहा भाकियू किसी कीमत पर इन अध्यादेशों को लागू नहीं होने देगी, और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती 2 अक्टूबर दिल्ली से देशव्यापी किसान आदोलन शुरू कर देगी।

अम्बावता ने कहा भाकियू और हरियाणा के सभी किसान संगठनों की मांग यही है कि यह तीनों अध्यादेश वापिस लिए जाएं। पूरे देश के किसानों का कर्जा माफ, और जिन किसानों पर मुकदमे किए गए हैं, वो वापिस लिए जाएं। उन्होने कहा यदि सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी तो भारत का किसान दिल्ली का चक्का जाम कर देगा। भाजपा सरकार का घमंड तोड़ने का काम किसान करेगा, और सरकार को घुटने पर ला देगा।

उन्होंने कहा कोरोना की विपत्ती में भी किसान ने खेती का काम नहीं छोडा और अपनी जान पर खेलकर देश की जनता का पेट भरने का काम किया है। सरकार की गलत नीतियों के कारण जीडीपी गड्ढे में चली गई है, और देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। फिर भी इस सरकार का घमंड नहीं टूट रहा है। यदि सरकार अभी नहीं जागी तो आगामी बिहार और उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा को करारी हार मिलेगी।

भाकियू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शमशेर सिंह दहिया ने कहा हरियाणा सरकार ने यदि यह तीनों अध्यादेश प्रदेश किसानों पर लागू किए तो किसान आंदोलन शुरू कर दिए जाएंगे।

उन्होंने कहा पहला आंदोलन 20 सितंम्बर को किया जा रहा है। इस आंदोलन को भाकियू अपना समर्थन देती है, मगर यह आंदोलन संविधान के दायरे में होना चाहिए। किसी तरह का ऐसा काम नहीं किया जाएगा जिससे जान माल की हानी हो, और कानून का उलंघन हो। उन्होने कहा आंदोलन में शरारती तत्वों पर भी नजर रखी जाए। दहिया ने कहा कुछ लोग अपने आपको किसान नेता बताकर सरकार के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं। वह अपने थोडे़ से लालच के लिए हजारों लाखों किसानों का जीवन बर्वाद करने पर तुले हैं। ऐसे लोगों के बहकावे में कतई न आएं।

उन्होंने कहा सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों पर ध्यान न दें। भाकियू के साथ रहें और आर पार की लडाई के लिए तैयार रहें। किसान सभा में अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे, और भाकियू का साथ देने का समर्थन करते हुए जय किसान-जय जवान का नारा लगाया।

 

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