अधिकारियों ने समाप्त किया सीएम विंडो का औचित्य, आनंदकांत भाटिया ने दिया इस्तीफा

 

फरीदाबाद। हरियाणा में सीएम विंडो पर लोगों की समस्याओं का समाधान न होने व भ्रष्टाचार के तमाम प्रकरण से दुखी होकर बडखल विधानसभा के सीएम विंडो प्रमुख आनंद कांत भाटिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

Officials finished CM window’s justification, Anandkant Bhatia resigns

उन्होंने कहा कि सीएम विंडो के औचित्य को अधिकारियों ने अपनी तानाशाही से समाप्त कर दिया है। इसलिए सीएम विंडो पर दी गई शिकायतों का समाधान नहीं होता। ऐसे में इस पद पर बने रहने को वह पूरी तरह से अर्थहीन समझते हैं। इसके चलते ही श्री भाटिया ने अपने पद को छोडना बेहतर समझा है।

भाटिया ने कहा प्रदेश की सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 270 विशिष्ट नागरिकों को मनोनीत किया गया था। जहां एक ओर किसी भी विधानसभा क्षेत्र का शिकायतकर्ता इस उम्मीद से सीएम विंडो पर अपनी शिकायत लगाता है कि कम से कम उसकी सुनवाई प्रदेश के मुखिया द्वारा सीधे तौर पर की  जाएगी । मगर अफसोस की बात है, उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

बडखल विधानसभा के निगरानी समिति प्रमुख आनंद कांत भाटिया ने विशिष्ठ नागरिक के पद से अपना इस्तीफा सीधे मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार के पास एक ईमेल के माध्यम से प्रेषित कर शिकायतकर्ताओं की सोच पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

यदि आनंद कांत भाटिया की मानें, तो भाजपा राज की सीएम विंडो पर कुछ भी सही नहीं है। अपने इस्तीफे के माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष कई प्रकार के खुलासे करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के साथ साथ अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेताओं और विभिन्न पदों पर बैठे नेताओं द्वारा सरेआम जिले में सरकारी जमीनों पर कब्जे करने एवं करवाने के साथ-साथ कई प्रकार के अनैतिक कार्यों से सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाते हुए निजी फायदों के लिए धन उगाहने तक के आरोप लगाए हैं।

भाटिया का यह मानना है कि कई भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी एवं ऐसे नेता जो मौकापरस्त, फिरकापरस्त हैं और पार्टी में प्रमुख पदों पर सुशोभित किए गए हैं दोनों हाथों से जिले की जनता को गुमराह करते हुए लूटने में लगे हुए हैं और कि जो पार्टी को लगातार नुकसान पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। अपने आत्मसम्मान को अहम मानते हुए और पार्टी के प्रधानमंत्री और  मुख्यमंत्री के दिखाए मार्ग पर ना चलने दिए जाने के कारण, क्षुब्ध होते हुए अंततरू बहुत सोच-विचार के बाद उन्हें अपना पद त्यागना ही एकमात्र विकल्प दिखाई दिया।

भाटिया ने अपने प्रेषित त्यागपत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि सरकार से जारी की गई योजनाओं से मिलने वाली कई प्रकार की सुविधाओं या सहायताओं तक को भी आम नागरिक अथवा वोटर तक पहुंचाने की एवज में कई पदाधिकारियों द्वारा अवैध रूप से धन वसूला जाने की शिकायतें भी लगातार उन्हें मिलती रहती हैं। ऐसी शिकायतें शीर्ष नेताओं तक पहुंचाने के बावजूद भी कोई हल ना निकलता देख उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र देना ही एकमात्र उचित रास्ता समझा। अपने त्यागपत्र में भाटिया ने बार बार मुख्यमंत्री  मनोहर लाल खट्टर को उन्हें इस पद पर सुशोभित कर मान सम्मान देने के लिए धन्यवाद किया है।

जब भाटिया से पूछा गया कि क्या यह मान लिया जाए कि अब वे भाजपा से दूरी बनाने जा रहे हैं, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में जवाब दिया कि कोई भी पद आपके आत्मसम्मान से बड़ा नहीं होता  इसीलिए मैंने अपने उस पद से त्यागपत्र दिया है जिस पर रहते हुए मैं सही तरीके से काम नहीं कर पा रहा था और कि जिस मकसद से मुख्यमंत्री  मनोहर लाल खट्टर  द्वारा सीएम विंडो की शुरुआत की गई थी उसके शिकायतकर्ताओं को मैं न्याय नहीं दिलवा पा रहा था जो कि कहीं ना कहीं आत्मिक बोझ के रूप में मुझे महसूस होता था और विचलित करता था। मैं प्रधानमंत्री  मोदी  एवं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर  की नीतियों से बहुत अधिक प्रभावित हूं और उनके कार्यकर्ता के रूप में ही राष्ट्रहित में अपनी सेवाएं प्रदान करता रहूंगा।

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