चंडीगढ़। सरकारी सेवा में रहते हुए अविवाहित पुत्र की मृत्यु के बाद मां को अनुकंपा सहायता से वंचित करना न केवल संवेदनहीन है, बल्कि कानून की मूल भावना के भी विपरीत है। इसी अहम सवाल पर पंजाब-हरियाणा High Court ने हरियाणा सरकार को स्पष्ट संदेश दिया है कि मानवीय दृष्टिकोण और नियमों की सही व्याख्या ही न्याय का आधार होती है। क्या है पूरा मामला यह मामला कुरुक्षेत्र जिले के एक सरकारी मिडिल स्कूल में कार्यरत संस्कृत शिक्षक हरिहर मोहन से जुड़ा है, जिनका 11 अक्टूबर 2011 को सेवा के…
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