बात 30 अक्टूबर 1990 की है। अयोध्या मे मंदिर आंदोलन दो सगे कोठारी बन्धु बाबरी ढांचे पर झंडा लहराते हुए गोली लगने से शहीद हो गए थे। उनकी शव यात्रा को कंधा देने वालों में मैं भी शामिल था। 28 अक्टूबर को कठिन मार्गों से होते हुए रात दिन कभी पैदल, तो कभी टेम्पो की रात्रि को गोसाईं गंज में ठहर अगली सुबह अयोध्या मे पैदल पहुंचे थे। The untold story of the war of non-war Ayodhya The story is of 30 October 1990. The temple movement in Ayodhya was…
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