फरीदाबाद। भारतीय किसान यूनीयन (अ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. ऋषिपाल अम्बावता के दिशा निर्देश पर हरियाणा और पंजाब भाकियू किसान कार्यकर्ताओं ने दर्जनों जिलों में टै्रक्टर रैलियां निकालकर केन्द्र सरकार की तानाशाही के खिलाफ अपना विरोध जताया, और महामहिम राष्ट्रपति से इन काले अध्यादेशों को वापिस लेने की मांग की। हरियाणा में इन रैलियों का नेतृत्व भाकियू प्रदेश अध्यक्ष अनिल नामदल बल्लू पहलवान ने किया और कुरूक्षेत्र, झझर, हिसार, रोहतक, सिरसा, पलवल, रेवाडी, पानीपत और कैथल सहित दर्जनों जिलों में किसानों ने मंडियों में टै्रक्टरों से जाम लगाया।
Big agitation in August if farmers demand is not met: Ambavata
वहीं पंजाब में होने वाले किसानों के विरोध प्रर्दशनों का नेतृत्व सरदार सतनाम सिंह बेहरू ने किया। इन विरोध प्रर्दशनों में किसानों ने केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए तीन किसान विरोधी अध्यादेशों को तुरन्त प्रभाव से वापिस लेने की मांग की।
अम्बावता ने केन्द्र की भाजपा सरकार की नीयत पर सबाल उठाते हुए कहा 6 वर्ष के साशन काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कभी किसानों के हित में नहीं सोचा, और ऐसी हालत में यह तीन अध्यादेश लाए गए हैं, जब किसान पहले से कोरोना की मार झेलते हुए भुखमरी की कगार पर खडा है।
उन्होने कहा मोदी सरकार सिर्फ व्यापारियों के हितों के बारे में सोचती है। उसे किसानों की कोई चिंता नहीं है, जबकि भारत की 70 प्रतिशत जनता आज भी गांव में रहती है। उन्होने कहा पहले कानून के मुताबिक हर व्यापारी केवल मंडी से ही किसान की फसल खरीद सकता था। किन्तु अब व्यापारी को इस कानून के तहत मंडी के बाहर से फसल खरीदने की छूट मिल जाएगी। अनाज, दालों, खाद्य तेल, प्याज, आलू आदि को जरूरी वस्तु अधिनियम से बाहर करके इसकी स्टॉक सीमा समाप्त कर दी गई है। इसके अलावा सबसे गलत बात कि सरकार कांट्रेक्ट फॉर्मिंग को बढावा देने की बात कह रही है।
अम्बावता ने कहा यह पहली सरकार है जो किसानों को न तो समय पर मुआवजा दे रही है, न फसल का उचित दाम देती है। मंडियों में सुविधाएं नहीं दे रही। किसान के लिए समय पर खाद-बीज नहीं है। किसानों के लिए बेरोजगारी भत्ता नहीं है। किसानों के लिए पैंशन नहीं है। किसानों को डीजल पर सब्सीडी नहीं मिल रही। किसानों की जमीन को अधिग्रहित कम रेट पर किया जाता है। गांव में पशु चिकित्सक नहीं पहुंचते। गांव को शहरों से जोडने वाली सडकों की हालत खराब है।
उन्होने कहा जब से देश में भाजपा की सरकार बनी है किसानो की हालात दिनों दिन खराब हो रही है। किसान कर्ज के बोझ से मर रहा है जबकि उद्योगपतियों के लाखों करोडों के कर्जे माफ कर दिये गए।
अम्बावता ने कहा आज की टै्रक्टर रैली से भी यदि सरकार ने इन तीनों अध्यादेशों को वापिस नहीं लिया तो आगामी 20 अगस्त को दिल्ली में बडा आन्दोलन किया जाएगा। इस आंदोलन में देश के 15 राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों के नेतृत्व में हजारों किसान दिल्ली को जाम कर देंगे।
उन्होने कहा देश का अन्नदाता जब तक सुखी नहीं होगा, तब तक देश की प्रगति नहीं होगी। इसलिए केन्द्र सरकार किसानों को कर्जा माफ करे, स्वामी नाथन रिपोर्ट सीटू के आधार पर लागू करे। किसान आयोग का गठन करे और किसानों को 5 हजार रूपए प्रति माह वृद्धा पेंशन दे। उन्होने कहा आज कोरोना की बजह से किसान ही नहीं बल्कि मजदूरों की भी हालत बहुत ज्यादा खराब है। इसलिए पूरे देश में गरीब को 6 माह तक बिजली मुफ्त, और 6 माह तक सभी स्कूलों की फीस माफ की जाए।