फरीदाबाद में कोरोना भारी पड़ी लोक आस्था, टब में पानी डाल कर की छठ पूजा

फरीदाबाद। शहर फरीदाबाद में शासन और प्रशासन द्वारा कोरोना के प्रकोप को देखते हुए हर साल की तरह मनाये जाने वाला लोक आस्था के महापर्व छठ को घाटों में मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। किंतु लोगों की श्रद्धा के ज्वार को कोरोना भी नहीं रोक पाया। लोगों ने छत पर टब में पानी भरा और उसमें ही गंगा मैया समझकर खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देकर उपासना की।

Public faith of Chhath Puja heavy on Corona in Faridabad, pouring water in tub

Faridabad. In the city of Faridabad, in view of the outbreak of Corona by the administration and administration, it was banned to celebrate Mahapatra Chhath of the folk faith celebrated every year in the ghats. But even the corona could not stop the tide of reverence of the people. People filled water in the tub on the roof and standing in it as Ganga Maeya and worshiped the Sun by offering it.

समाजसेवी मोहन तिवारी ने बताया कि पिछले लगभग 8 साल से लगातार छठ पूजा कर रहे हैं, लेकिन इस बार शासन व प्रशासन की हिदायत के अनुसार छह घाटों पर जाना संभव नहीं था और न ही वहां कोई व्यवस्था थी। इसलिए छत पर ही टब में पानी डालकर पूजा की गई।

फरीदाबाद व दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश में सूर्य को अर्घ्य दिया गया है।

बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर सूर्य की उपासना की।

दुनिया के विभिन्न देशों में ऐसे भी हैं, जो सनातन धर्म को नहीं मानते हैं, लेकिन वैदिक पद्धति के अनुसार सूर्योपासना करते हैं।

किंतु किसी भी स्थान या पर्व ढलते हुए सूर्य की उपासना नहीं की जाती है।

कहावत भी है कि चढ़ते सूरज को सब नमस्कार करते हैं।

किंतु छठी मैया के व्रत में ही ढलते हुए सूर्य और उगते हुए सूर्य दोनों की पूजा की जाती है।

हिंदू धर्म से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, शाम के दौरान सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं।

ऐसे में छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

ऐसी मान्यता है कि व्रतधारी महिलाओं को इससे दोहरा लाभ मिलता है।

इसी लिए यहां की ओल्ड बसेलवा कॉलोनी में लोगों ने बर्तन धोने के टब, बाल्टी व खाना पकाने के बड़े भगोने को ही अस्थायी तालाब बना दिया।

इस तरह महिलाओं के साथ ही पुरुषों ने भी सूर्य को अर्घ्य दिया।

वही जलवायु विहार में आयोजित छठ पूजा के दौरान स्वीमिंग पूल में खड़ी होकर महिलाओं ने पूजा की।

महिलाएं समृद्धि के प्रतीक सूर्य देव के पूजन में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखे हुए हैं।

 

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