नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन जोर पकड़ता नजर आ रहा है। सरकार की तरफ से दिए गए संशोधन के प्रस्ताव को किसान संगठनों ने नामंजूर कर दिया है। इसके बाद हुई किसान नेताओं की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं। इस बार किसान दिल्ली-उत्तर प्रदेश हाइवे और राजस्थान के हाइवे को ठप करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली में नाकेबंदी किये जाने की खबरें हैं। सरकार ने किसानों के सामने 9 सूत्रीय प्रस्ताव रखा था। यह ड्राफ्ट 13 संगठन नेताओं को भेजा गया था।
Farmers reject government’s proposal, will block highway of Delhi, UP and Rajasthan
New Delhi. The ongoing peasant movement against the new agricultural laws (thu stu) seems to be gaining momentum. The proposal of the amendment given by the government has been rejected by the farmer organizations. Several major decisions have been taken in the meeting of farmer leaders that took place after this. This time, farmers are preparing to disrupt the Delhi-Uttar Pradesh highway and Rajasthan highway. Apart from this, there are reports of blockade in Delhi. The government had made a 9-point proposal before the farmers. This draft was sent to 13 organization leaders.
किसान नेताओं का कहना है कि जो प्रस्ताव सरकार ने हमें भेजे थे, वह हमने पढ़े हैं और उन्हें नामंजूर कर दिया गया है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर कानून वापस नहीं लिए गए, तो हम इस आंदोलन को उग्र करेंगे। नया धरना 14 दिसंबर को दिया जाएगा।
सिंघु बॉर्डर पर मौजूद किसानों ने कहा कि 12 दिसंबर को जयपुर-दिल्ली हाइवे को ब्लॉक किया जाएगा।
क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि हमने सरकार के प्रस्ताव ठुकरा दिए हैं।
किसान आंदोलन में किसानों का समर्थन कर रहे नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि श्सरकार ने जो भरोसे मीटिंग में दिए थे, वह भी इन प्रस्तावों में ठीक तरह से नहीं लिखे गए हैं।
उन्होंने कहा, सरकार ने 9 प्रस्तावों में छुटपुट बदलाव किए हैं।
यादव ने दावा किया है कि जल्द ही इस आंदोलन में देशभर के किसान जुड़ेंगे।
अंबानी-अडानी के प्रोडक्ट का बायकॉट करेंगे
प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सरकार पर कई आरोप लगाए हैं।
उनका कहना है कि वे अंबानी और अडानी के प्रोडक्ट का बहिष्कार करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत कहते हैं कि यह सम्मान का मुद्दा है। अगर सरकार जिद पर अड़ी है, तो किसान भी अपनी बातों पर डटे हैं।
उन्होंने कहा कि कानून वापस होने ही चाहिए। हालांकि, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि किसानों के मुद्दों पर सरकार संवेदनशील है। जब एक अंतिम दौर की बातचीत हो रही है, तो इसे वर्क इन प्रोग्रेस माना जाता है।
उन्होंने कहा कि इसकी रनिंग कमेंट्री नहीं हो सकती।
विपक्षी दलों की राष्ट्रपति से मुलाकात
सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में आए विपक्षी दलों के नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने पहुंचे हैं। एनसीपी के अलावा कांग्रेस, माकपा, भाकपा, डीएमके और तृणमूल कांग्रेस इस मीटिंग में शामिल हो सकती है।
पवार के अलावा माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा और डीएमके के टीकेएस एलानगोवन राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे।
येचुरी ने मंगलवार को कहा था कि विपक्षी दल कल शाम 5 बजे राष्ट्रपति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे।
उन्होंने बताया कि इन नेताओं में राहुल गांधी, शरद पवार और अन्य नेता शामिल होंगे।
माकपा महासचिव ने जानकारी दी कि कोविड-19 नियमों के चलते केवल 5 लोगों को ही मुलाकात की अनुमति है।
14वें दिन भी किसानों का प्रदर्शन जारी है।
मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह से हुई किसानों की मुलाकात बेनतीजा रही थी।
इससे पहले भी सरकार और किसानों के बीच 5 बार मुलाकात हो चुकी थी।
सरकार ने कानूनों में संशोधन की बात कही थी, लेकिन किसान लगातार कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं।