चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में जान गंवाने वाले हरियाणा मूल के नागरिकों के परिवारों के लिए एक अहम और संवेदनशील फैसला लिया है। राज्य सरकार ने अपनी नई रोजगार नीति में संशोधन करते हुए ऐसे परिवारों के एक योग्य सदस्य को सरकारी विभागों में सीधे संविदा नियुक्ति देने का प्रावधान लागू कर दिया है।
मानव संसाधन विभाग द्वारा जारी ताज़ा अधिसूचना के तहत अब इन परिवारों को **हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN)** के माध्यम से मानवीय आधार पर नौकरी दी जाएगी। यह नियुक्ति लेवल-1 से लेकर लेवल-3 श्रेणी के पदों पर की जाएगी, जिसमें निगम द्वारा पहले से तय शैक्षणिक योग्यता और पात्रता नियम लागू रहेंगे।
नई अधिसूचना के अनुसार:
* 1984 के दंगों में जिन हरियाणा मूल के लोगों की मौत हुई, उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी का अधिकार मिलेगा।
* यह सुविधा उन मामलों में भी लागू होगी, अगर मृत्यु हरियाणा राज्य के बाहर हुई हो।
* नियुक्ति पूरी तरह मानवीय आधार (Compassionate Appointment) की तर्ज पर होगी।
* सभी सरकारी विभागों, बोर्डों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक उपक्रमों में यह नियम लागू किया जाएगा।
सरकार ने इस नीति को पूरे राज्य में समान रूप से लागू करने के निर्देश जारी किए हैं। मंडल आयुक्त, उपायुक्त (DC), एसडीएम, सरकारी बोर्ड, निगम, विश्वविद्यालय और यहां तक कि **पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट** के रजिस्ट्रार को भी इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है। इससे स्पष्ट है कि यह सुविधा किसी एक विभाग तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पूरे सरकारी तंत्र में लागू होगी।
इस नीति को व्यावहारिक बनाने के लिए सरकार ने एक खास व्यवस्था भी की है:
* अगर किसी विभाग में उस समय पद खाली नहीं है, तो उम्मीदवार को किसी अन्य विभाग में समायोजित किया जाएगा।
* यदि किसी भी विभाग में पद की मांग (इंडेंट) उपलब्ध नहीं होती, तो **हरियाणा कौशल रोजगार निगम** स्वयं अपनी इकाई में उस व्यक्ति को तैनाती देगा।
इससे यह सुनिश्चित होगा कि पात्र परिवार को नौकरी जरूर मिले और प्रक्रिया कागजों में अटककर न रह जाए।
सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम
1984 की त्रासदी से प्रभावित कई परिवार दशकों से आर्थिक और सामाजिक संघर्ष झेल रहे हैं। स्थायी रोजगार और आय का साधन न मिलने के कारण उनका जीवन कठिन बना रहा। नई नीति न केवल आर्थिक सहारा देगी, बल्कि सामाजिक न्याय और मानवीय संवेदना की दिशा में सरकार का एक मजबूत संदेश भी मानी जा रही है।
सरकार ने साफ कर दिया है कि अधिसूचना जारी होते ही यह नीति तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है और अब से सभी आवेदन इसी संशोधित प्रावधान के तहत स्वीकार किए जाएंगे। हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया है कि *प्रति परिवार केवल एक सदस्य* को ही इस योजना के तहत संविदा नौकरी दी जाएगी।
यह फैसला उन हजारों परिवारों के लिए नई उम्मीद की किरण बनकर आया है, जो वर्षों से न्याय और स्थिर जीवन की राह देख रहे थे।
