बोस्टन। कोरोना से मुकाबले की दिशा में शोधकर्ताओं ने एक नया रैपिड टेस्ट विकसित किया है। न्यूनतम उपकरण के साथ इस टेस्ट से महज एक घंटे के अंदर नतीजा सामने आ सकता है। इस तरीके से तकरीबन मानक के अनुरुप कोरोना की पहचान की जा सकती है। अमेरिका के मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं का कहना है कि स्टॉप कोविड नामक इस टेस्ट को इतना किफायती बनाया जा सकता है, जिससे लोग खुद ही अपनी जांच रोजाना कर सकेंगे।
Invention: With this rapid test kit, people will test the corona at home
Boston. Researchers have developed a new rapid test in the direction of combat with Corona. With minimal equipment, this test can produce results within just one hour. In this way the corona can be identified according to almost standard. Researchers at America’s Massachusetts Institute of Technology (MIT) say that this test, called Stop Kovid, can be made so economical that people will be able to do their own tests daily.
यह टैस्ट किट कुछ इस तरह होगी, जिस तरह लोग डायबिटीज घर पर ही चैक कर लेते हैं।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह नया टेस्ट 93 फीसद पॉजिटिव मामलों की पहचान करने में खरा पाया गया है।
इस टेस्ट को 402 रोगियों के स्वैब नमूनों पर आजमाया गया था।
शोधकर्ता फिलहाल लार के नमूनों के साथ स्टॉप कोविड को परख रहे हैं।
इस तरीके से घर पर ही जांच करना आसान हो सकता है।
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं का कहना है, हमें इस स्थिति में रैपिड टेस्टिंग की जरूरत है, जिससे लोग खुद की रोजाना जांच कर सकें। इससे महामारी पर अंकुश पाने में मदद मिलेगी।
वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई कि क्लीनिक, फार्मेसी, नर्सिग होम और स्कूल के लिहाज से इस टेस्ट का विकास किया जा सकता है। एमआइटी की शोधकर्ता जुलिया जोंग ने कहा, श्हमने स्टॉप कोविड टेस्ट विकसित किया है। इसके जरिये सब कुछ को सिर्फ एक स्टेप में अंजाम दिया जा सकता है। इसका मतलब कि यह टेस्ट लैब व्यवस्था से बाहर गैर विशेषज्ञ भी कर सकते हैं।
स्टॉप कोविड नामक यह नई जांच पद्धति काफी सस्ती होगी।
यह जांच पद्धति 93 फीसद संक्रमित मामलों का पता लगा सकती है। पारंपरिक जांच पद्धति में भी शुद्धता की यही दर है।
इस नई पद्धति के जरिए किसी मरीज के नमूने में वायरस की आनुवंशिक सामग्री के साथ मैग्नेटिक बीड्स के जरिए संक्रमण का पता लगाया जाएगा।
इसके ट्रायल के दौरान वैज्ञानिकों ने मरीजों के 402 नमूने की जांच की। जांच में इस पद्धति ने 93 फीसद संक्रमित मरीजों का पता लगाया।