नई दिल्ली। भारतीय मध्यम वर्ग और वाहन मालिकों के लिए 1 जनवरी 2026 की सुबह एक बड़ी राहत लेकर आएगी। Petroleum and Natural Gas Regulatory Board (PNGRB) ने गैस के Transmission Tariff ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन किए हैं, जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। इस बदलाव के बाद देशभर में Compressed Natural Gas (CNG) और Piped Natural Gas (PNG) की कीमतों में 2 से 3 रुपये प्रति यूनिट तक की कमी आने की प्रबल संभावना है।
यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह भारत की Energy Economy को एक नई दिशा देने वाला कदम है। विशेष रूप से उन शहरों में जहां गैस दूर-दराज के इलाकों से पाइपलाइनों के जरिए पहुंचती है, वहां उपभोक्ताओं को इस कटौती का सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा।
क्यों और कैसे कम होंगे दाम?
गैस की कीमतों में इस बड़ी कटौती के पीछे मुख्य कारण Unified Tariff Structure में किया गया संशोधन है। PNGRB के सदस्य ए.के. तिवारी के अनुसार, बोर्ड ने गैस परिवहन के लिए लागू पुराने Zonal System को खत्म कर उसे अधिक सरल और सस्ता बना दिया है।
* पारदर्शिता पर जोर: सरकार का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि Gas Distribution Companies को मिलने वाली टैक्स और टैरिफ की छूट का लाभ सीधे अंतिम Consumer तक पहुंचे।
* अनिवार्य निर्देश: PNGRB ने सभी कंपनियों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे अपनी परिचालन लागत में होने वाली बचत को पारदर्शी तरीके से ग्राहकों के बिलों में घटाएं।
* टैक्स का गणित: राज्य और स्थानीय करों (VAT) को मिलाकर यह बचत 3 रुपये प्रति यूनिट तक जा सकती है, जो एक औसत परिवार के मासिक बजट में महत्वपूर्ण अंतर पैदा करेगी।
पुराने बनाम नए टैरिफ नियम: क्या बदला?
2023 से लागू नियमों के तहत गैस परिवहन शुल्क को दूरी के आधार पर तीन अलग-अलग श्रेणियों या Tariff Zones में विभाजित किया गया था। इस पुराने ढांचे के कारण लंबी दूरी पर गैस पहुंचाना काफी महंगा पड़ता था:
* Zone 1 (0-300 किमी): यहां शुल्क 42 रुपये प्रति यूनिट था।
* Zone 2 (300-1,200 किमी): यहां दर 80 रुपये प्रति यूनिट थी।
* Zone 3 (1,200 किमी से अधिक): यहां शुल्क सबसे अधिक 107 रुपये प्रति यूनिट था।
अब PNGRB ने इन तीन क्षेत्रों को केवल दो जोन में समेट दिया है। नए नियमों के अनुसार, Zone 1 के लिए एकीकृत टैरिफ अब मात्र 54 रुपये तय किया गया है। इसका सबसे बड़ा लाभ उन दूरस्थ क्षेत्रों को मिलेगा जो पहले 80 या 107 रुपये की उच्च दरों के दायरे में आते थे।
इस Rationalization से गैस की पहुंच न केवल सुलभ होगी बल्कि पूरे देश में इसकी कीमतें भी लगभग समान होने की दिशा में बढ़ेंगी।
देशव्यापी नेटवर्क और कंपनियों पर प्रभाव
भारत में City Gas Distribution (CGD) का जाल बहुत तेजी से फैला है। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार:
* भारत के लगभग 312 Geographical Areas (GAs) को इस नेटवर्क के तहत कवर किया जा चुका है।
* करीब 40 सरकारी और निजी गैस कंपनियां इन क्षेत्रों में सक्रिय रूप से सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
* नए टैरिफ नियम इन सभी Public Sector Undertakings (PSUs) और Private Enterprises पर समान रूप से लागू होंगे।
सरकार का लक्ष्य पूरे देश को एक एकीकृत पाइपलाइन नेटवर्क से जोड़ना है। इसके लिए पहले ही कई Licenses जारी किए जा चुके हैं, ताकि कोई भी कोना इस स्वच्छ ईंधन से अछूता न रहे।
गैस-आधारित अर्थव्यवस्था की ओर भारत के कदम
प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप, भारत एक Gas-Based Economy बनने की दिशा में अग्रसर है। प्राकृतिक गैस न केवल कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधनों की तुलना में स्वच्छ है, बल्कि यह Cost-Effective भी है।
* पर्यावरण अनुकूल: गैस का अधिक उपयोग प्रदूषण को कम करने और Climate Goals को प्राप्त करने में मदद करेगा।
* औद्योगिक विकास: सस्ती गैस से उद्योगों की उत्पादन लागत कम होगी, जिससे भारतीय उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक Competitive बन सकेंगे।
* राज्य सरकारों की भूमिका: PNGRB एक Facilitator के रूप में राज्यों के साथ समन्वय कर रहा है। कई राज्यों ने Value Added Tax (VAT) में कटौती की है और Single-Window Clearance के माध्यम से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को गति दी है।
आम आदमी पर प्रभाव
अंततः, इस नीतिगत बदलाव का सबसे सुखद परिणाम रसोई और सड़क पर दिखाई देगा। एक ओर जहां Kitchen Budget में सुधार होगा, वहीं दूसरी ओर सार्वजनिक परिवहन जैसे ऑटो और बसों के किराए में भी स्थिरता या कमी आने की उम्मीद है। यह कदम Inflation Control में भी सहायक होगा क्योंकि परिवहन लागत कम होने से आवश्यक वस्तुओं के दाम भी नियंत्रित रहते हैं।
1 जनवरी 2026 से लागू होने वाला यह नया टैरिफ ढांचा भारत के ऊर्जा इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा, जो विकास और बचत के बीच एक आदर्श संतुलन बनाएगा।
