नई दिल्ली। इसी साल अक्टूबर में फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की होने वाली बैठक का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे पाकिस्तान सरकार की बेचौनी बढ़ती जा रही है। बेचौनी का आलम यह है कि पीएम इमरान खान ने यहां तक कहा दिया कि अगर एफएटीएफ पाकिस्तान को प्रतिबंधित कर देता है तो उनके देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी। दूसरी तरफ, भारत का साफ कहना है कि वह आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने की अपनी मुहिम से पीछे नहीं हटने वाला।
Pakistani economy will be destroyed if FATF imposes sanctions: Imran Khan
New Delhi. As the time for the meeting of the Financial Action Task Force (FATF) in October this year is coming closer, the restlessness of the Government of Pakistan is increasing. The problem of restlessness is that PM Imran Khan has even said that if the FATF ban Pakistan, then the economy of his country will be destroyed. On the other hand, India has clearly said that it will not back down from its campaign to impose international sanctions on countries that support terrorism.
भारत ने यह भी संकेत दिया है कि हाल के दिनों में पाकिस्तान ने जिस तरह कई आतंकियों के अपने देश में होने की बात स्वीकार की है, वह उसे भी अंतरराष्ट्रीय पटल पर जोर-शोर से उठाएगा।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को एक सेमिनार में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय दबाव का ही नतीजा है कि एक देश को यह स्वीकार करना पड़ा है कि वह अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों को मदद कर रहा है व उन्हें ट्रेनिंग दे रहा है। यह देश अनिच्छा से स्वीकार कर रहा है कि प्रतिबंधित आतंकी, उनका नेटवर्क व संगठित अपराध करने वाले उसके यहां काम कर रहे हैं।
जयशंकर ने आगे कहा कि जो देश अभी तक आतंक को अपना प्रमुख निर्यात बनाये हुए हैं, वे खुद को आतंक का शिकार बताने लगे हैं।
विदेश मंत्री ने वर्ष 2001 में अमेरिका पर और वर्ष 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए एफएटीएफ जैसे संस्थानों की तरफ से कड़े कदम उठाने की जरूरत बताई और कहा कि आतंकी गतिविधियों और इनके नेटवर्क के खात्मे के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव और ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है।
जयशंकर का यह रुख सामने तब आया है, जब एफएटीएफ की आगामी बैठक को लेकर सदस्य देशों के बीच जबरदस्त गहमागहमी शुरू है।
इसी गहमा-गहमी का असर पाक पीएम पर दिखाई दे रहा है। एक निजी चौनल को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि भारत पिछले दो वर्षों से पाकिस्तान पर एफएटीएफ का प्रतिबंध लगाने की कोशिश में है। अगर यह प्रतिबंध लग जाता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तबाह हो सकती है। पाकिस्तान की स्थिति ईरान जैसी हो सकती है जिससे कोई
अतंरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान कारोबार नहीं करना चाहेगा। पाकिस्तानी रुपये में बेतहाशा गिरावट हो सकती है। रुपये की गिरावट से बिजली, गैस, तेल सब कुछ महंगा हो सकता है। यह पिछले तीन दिनों में पाकिस्तानी पीएम का दूसरा बयान है जिसमें उन्होंने एफएटीएफ प्रतिबंध को लेकर अपनी चिंता जताई है।
जानकारों का मानना है कि अक्टूबर, 2020 में एफएटीएफ की बैठक में प्रतिबंध से बचने के लिए पाकिस्तान को कम से कम तीन देशों का समर्थन चाहिए।
पाकिस्तान को दो वर्ष पहले ग्रे लिस्ट में डाला गया था और उसे आतंकी फंडिंग रोकने के साथ ही 50 तरह के कदम उठाने का निर्देश दिया गया था। फरवरी, 2020 की बैठक में भी पाकिस्तान ने जो रिपोर्ट सौंपी थी उससे अधिकांश देश संतुष्ट नहीं थे, लेकिन पाकिस्तान को मलेशिया, तुर्की और चीन की मदद मिली और वह प्रतिबंधित सूची में डालने से बच गया था।
अब जबकि आगामी बैठक के दिन नजदीक आ रहे हैं, तो पिछले हफ्ते पाकिस्तान सरकार ने 80 ऐसे आतंकी संगठनों व प्रतिबंधित आतंकियों का नाम प्रकाशित किया था, जो उसकी जमीन से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।