चीन में बगावतः राष्ट्रपति जिनपिंग पर दुनिया को दुश्मन बनाने का आरोप

बीजिंग। ऐसा नहीं है कि चीन के खिलाफ दूसरे देशों में ही आवाज उठ रही है, राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब अपने घर में भी घिरते जा रहे हैं। कोरोना से लेकर विस्तारवादी नीतियों की वजह से चीन गिने-चुने देशों को छोड़कर सभी से दुश्मनी मोल लेता जा रहा है। ऐसे में चीन में भी जिनपिंक की नीतियों पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। चीन के प्रमुख सेंट्रल पार्टी स्कूल की पूर्व प्रफेसर छाई शीआ ने जिनपिंग पर निशाना साधते हुए कहा कि वह देश को खत्म करने पर तुले हैं।

Rebellion in China: President Jinping accused of making the world enemies

Beijing. It is not that voices are being raised against China in other countries, President Xi Jinping is now being surrounded in his home as well. From Corona to expansionary policies, China is taking hostility from all but a few countries. In such a situation, questions have also been raised in China on Jinpink’s policies. Chie Xi, a former professor at China’s premier Central Party School, targeted Jinping, saying he was determined to destroy the country.

एएनआई न्यूज एजेंसी कीएक रिपोर्ट के अनुसार शी जिनपिंग के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से शीआ को सोमवार को चाइना कम्युनिस्ट पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

शी की आलोचना वाले क्लिप के वायरल हो जाने के बाद पार्टी से बाहर की गईं शीआ ने कहा कि बहुत से लोग पार्टी से निकलना चाहते हैं।

प्रफेसर ने कहा है कि है कि वह खुश हैं कि पार्टी से निकाल दिया गया। उन्होंने कहा, श्श्शी के कार्यकाल में सीसीपी चीन का विकास नहीं होगा। वास्तव में यह चीन के विकास में बाधा है।

उन्होंने कहा कि मैं मानती हूं कि केवल मैं नहीं जो पार्टी को छोड़ना चाहती थी, और बहुत से लोग पार्टी को छोड़ना चाहेंगे। पार्टी में अभिव्यक्ति के लिए कोई जगह नहीं थी और मैंने सालों पहले पार्टी छोड़ने की इच्छा जाहिर कर दी थी।

इससे पहले प्रफेसर ने जून में श्गार्जियनश् अखबार से बात की थी, जिसके बाद पहली बार ऑडियो सामने आया था। उन्होंने चीन को दुनिया का दुश्मन बनाने के लिए शी जिनपिंग पर निशाना साधा। शी और सीसीपी के खिलाफ उनकी टिप्पणियां पार्टी और देश भर में गूंजेंगी, जहां संगठन की सार्वजनिक आलोचना बेहद दुर्लभ है।

अपने और परिवार के लिए खतरे को देखते हुए शीआ शुरुआत में नहीं चाहती थीं कि उनका इंटरव्यू प्रकाशित हो, लेकिन अब वह खुलकर बोलना चाहती हैं।

प्रफेसर ने कहा कि अब मेरे पास कहीं अधिक आजादी है। मेरी अभिव्यक्ति अब प्रतिबंधों से स्वतंत्र है।श्श् शीआ कहती हैं कि पार्टी में शी के खिलाफ काफी असंतोष है, लेकिन कुछ ही लोगों में बोलने की हिम्मत है। वे पार्टी के आंतरिक अनुशासन और भ्रष्टाचार के आरोपों के रूप में राजनीतिक प्रतिशोध को लेकर डरे हुए हैं।

प्रफेसर ने कहा कि शी की अनियंत्रित शक्तिश् और सभी प्रमुख निर्णय पर पकड़ ने कोविड-19 प्रकोप से निपटने में नाकामी जैसी गलतियों को जन्म दिया।

चीन ने वुहान में कोरोना वायरस के प्रसार को छुपाने का आरोप स्थानीय अधिकारियों पर लगाया है। पार्टी की एक मैगजीन के मुताबिक शी ने 7 जनवरी को पोलित ब्यूरो को वायरस से निपटने को निर्देश दिए थे। इसके करीब दो सप्ताह बाद लोगों के लिए चेतावनी जारी की गई।

शीआ ने कहा कि यदि वह 7 जनवरी को ही जानते थे तो घोषणा 20 जनवरी को क्यों की गई? वह परिस्थिति के बारे में 7 जनवरी को ही जानते थे लेकिन सार्वजनिक रूप से घोषणा नहीं की या संसाधनों का इस्तेमाल नहीं किया, तो क्या उन्हें जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए?

प्रफेसर ने कहा कि जब कोई उनका विरोध नहीं कर सकता है तो इसका मतलब है कि उनकी शक्तियां असीमित हैं। उन्होंने दुनिया को दुश्मन बना लिया है। घर में सभी बड़े मुद्दों पर फैसला वही लेते हैं। घरेलू मामला हो या अंतरराष्ट्रीय, उन्हें रोकना बहुत कठिन है।

उन्होंने कहा कि संभव है कि उनके फैसले गलत भी हो सकते हैं। एक गलत फैसले के बाद नतीजे सही नहीं हो सकते हैं, लेकिन उनके मातहत यह बताने की हिम्मत नहीं कर सकते हैं कि फैसला गलत है और तब तक उस पर कायम रहते हैं जब तक स्थिति कंट्रोल से बाहर ना हो जाए।

 

 

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