नवरात्रि व्रत का अधिकाधिक लाभ प्राप्त होने के लिए शास्त्र में बताए आचारों का पालन करना आवश्यक होता है, परंतु देश-काल-परिस्थितिनुसार सभी आचारों का पालन करना संभव नहीं होता। इसीलिए जो संभव हो, उन आचारों का पालन अवश्य करें।
What to do and what not to do during Navratri fast
To get maximum benefit of Navratri fast, it is necessary to follow the ethos stated in the scriptures, but it is not possible to follow all the ethos according to the country-time-situation. Therefore, whatever is possible, follow those practices.
- जूते-चप्पलों का उपयोग न करना
- अनावश्यक न बोलना
- धूम्रपान न करना
- पलंग एवं बिस्तर पर न सोना
- दिन के समय न सोना
- दाढ़ी और मूछ के तथा सिर के बाल न काटना
- कठोरता से ब्रह्मचर्य का पालन करना
- गांव की सीमा को न लांघना इत्यादि
नवरात्रि में मांसाहार सेवन और मद्यपान भी नहीं करना चाहिए।
साथ ही रज-तम गुण बढ़ाने वाला आचरण, जैसे चित्रपट देखना, चित्रपट संगीत सुनना इत्यादि त्यागना चाहिए ।
नवरात्रि उपवास करने का महत्त्व
नवरात्रि के नौ दिनों में अधिकांश उपासक उपवास करते हैं। नौ दिन उपवास करना संभव न हो, तो प्रथम दिन एवं अष्टमी के दिन उपवास अवश्य करते हैं।
उपवास करने से व्यक्ति के देह में रज-तम की मात्रा घटती है और देह की सात्त्विकता में वृद्धि होती है। ऐसा सात्त्विक देह वातावरण में कार्यरत शक्तितत्त्व को अधिक मात्रा में ग्रहण करने के लिए सक्षम बनता है ।
देवी उपासना के अन्य अंगों के साथ नवरात्री की कालावधि में श्री दुर्गादेव्यै नमः यह नामजप अधिकाधिक करने से देवीतत्त्व का लाभ मिलने में सहायता होती है ।
देवी मां की उपासना श्रद्धाभाव सहित करना
नवरात्रि में किए जानेवाले धार्मिक कृत्य पूरे श्रद्धाभाव सहित करने से पूजक एवं परिवार के सभी सदस्यों को शक्तितत्त्व का लाभ होता है। नवरात्रि की कालावधि में शक्तितत्त्व से संचारित वास्तुद्वारा वर्षभर इन तरंगों का लाभ मिलता रहता है, परंतु इसके लिए देवी मां की उपासना केवल नवरात्रि में ही नहीं, अपितु पूर्ण वर्ष शास्त्र समझकर योग्य पद्धति से करना आवश्यक है।
कु. कृतिका खत्री,
सनातन संस्था