फरीदाबाद। पुलिस भी कई बार रंग में भंग डाल देती है। अब देखो, फरीदाबाद पुलिस के कारण इस बार रावण के सारे अरमान धरे के धरे रहे जाएंगे। पुलिस ने अब तक तीन रावण पकड़ लिए हैं। पुलिस की टीमें गली-गली अन्य रावणों को संूघती फिर रही हैं। शहर में रावणिए आगे-आगे और पुलिस पीछे-पीछे। उम्मीद है कि शाम तक कई और रावण पुलिस की गिरफ्त में होंगे।
Faridabad: Ravan’s honor in danger, three Ravan’s caught
Faridabad. The police also sometimes break the colors. Now look, because of Faridabad Police, this time all the wishes of Ravan will be kept in the loop. The police have caught three Ravan so far. Police teams have been combing other Ravans in streets. In the city, Ravan-lover leads and police behind. It is expected that by the evening many more Ravan will be under police control.
दशहरा त्रेता युग सम प्राच्य कालीन पर्व है।
राजा राम सरकार ने जिस दिन रावण की नाभि के ठीक पीछे स्थित मणिपुर चक्र में अमृत को अग्नि बाण से सुखा दिया था और रावण कांतिविहीन होकर धराशायी हो गया था।
उसी दिवस से रावण को अब प्रति वर्ष फंुकना होता है।
ब्राह्मण श्रेष्ण, पुलस्त्य कुलनंदन, 4 वेद, 6 शास़्त्र और 18 पुराणों का ज्ञाता रावण अति पराक्रमी था, जिसने काल को अपने पलंग की पाटी से बांध दिया।
ब्राह्मण श्रेष्ठ इतना कि मर्यादा पुरुषोत्तम कौशल्यनंदन को रावण वध के कारण ब्रह्म हत्या का पाप लगा।
अवधबिहारी इस पाप से मुक्ति के लिए वर्तमान माता हिंगलाज के दरबार पहुंचे।
हिंगुल माता का मंदिर वर्तमान पाकिस्तान में हैं।
जहां आज हिंदू और मुसलमान बराबरी से हिंगलाज माता की पूजा करते हैं।
मुसलमान हिंगलाज माता को नानी पीर का मंदिर कहते हैं और हिंगलाज माता की जियारत को नानी का हज करते हैं।
जब भी विदेशी इस्लामिक अक्रांताओं ने हिंगलाज की मर्यादा के विपरीत कार्य करने का प्रयास किया, तो मरहूम अभिनेता कादर खान की नस्ल वाले जानिसार बलोच, हिंदुओं से किसी तरह कमतर न रहे और नानी पीर के लिए भिड़कर विदेशी बादशाहों के पैर उखाड़ दिए।
जब भगवान विष्णु ने भावविह्वल और बेसुध बाबा भोलेनाथ की गति से श्रष्टि के चक्र को बिगड़ते देखा, तो भूत भावन भगवान भोलेनाथ के हाथों में मैया पार्वती के पार्थिव शरीर को अंतिम विश्रांति के लिए अपने सुदर्शन चक्र से वेधन किया।
जहां-जहां मां पार्वती के पार्थिव शरीरांग गिरे, वे 51 शक्तिपीठ कहलाए।
हिंगलाज मंदिर में माता का ब्रह्मरंध्र गिरा था। इसलिए यह शक्तिपीठ कहलाया।
जानकीवल्लभ को रावण वध से लगे पाप से मुक्ति पाने के लिए इसी शक्ति पीठ पर माता हिंगलाज की पूजा का उद्योग करना पड़ा।
वैभव ऐसा कि दशग्रीव स्वर्ण लंका में निवास करता था, जो उसकेे पिता विश्रवा द्वारा उसके भाई कुबेर को दी गई थी, जिसे बाद में लंकेश ने अपने भाई से छीन लिया था।
किंतु कैकेसी पुत्र का अहंकार उसे ले डूबा।
कबीर ग्रंथवलि के अनुसारः
चंद सूर जाके तपत रसोई। बैसंतर जाके कपरे धोई।
इक लख पूत सवा लख नाती। तिह रावन घर दिया न बाती।।
हर वर्ष लंकापत दशहरा वाले दिन सिर उठाता है कि प्रभु श्री राम आएंगे और उसे मुक्ति प्रदान करेंगे।
किंतु इस बार फरीदाबाद पुलिस ने दशानन की इस उम्मीद पर मट्ठा डाल दिया है।
वजह
एनआईटी का दशहरा राजनीति का बड़ा अखाड़ा बन चुका है।
हर बार यहां दशहरा पर प्रशासन के लिए सिरदर्दी हो जाती है।
इसलिए इस बार डीएम यशपाल ने कोरोना प्रोटोकाल के मद्देनजर दशहरा आयोजन से इनकार कर दिया था।
यह सच भी है कि दशहरा पर जुटने वाली असंख्य भीड़ कोरोना विस्फोट का कारण भी बन सकती है।
इसके बावजूद आयोजकों ने दशहरा मैदान स्थित मालवीय वाटिका में रावण का पुतला पहुंचा दिया था।
पुलिस को खबर लगी, तो एक टीम वहां पहुंची और रावण का पुतला जब्त कर लिया।
आयोजकों को पुतला दहन न करने की सख्त हिदायत भी दी।
इसके अलावा जनता कॉलोनी और सेक्टर 23 स्थित कम्युनिटी सेंटर के समीप बने रावण के पुतलों को भी प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया है।
इस बार दशहरा मैदान विधवा की मांग की तरह सूने ही रहेंगे।
प्रशासन ने रावण न फुंकवाने के लिए कमर कस ली है।
कहीं गली-नुक्कड़ में लड़के कोई बच्चा रावण फंूक दें, तो बात दीगर है।
(कथावस्तु में कुछ हास्य-विनोद भी हैै। अतैव उसका रसास्वादन कीजिए।)