चीन से भारत आने वाली अपनी कंपनियों को जापान देगा सब्सिडी

नई दिल्ली। भारत के बाद अब जापान ने चीन को कारोबारी झटका दिया है। जापान ने चीन से आसियान देशों में अपने फैक्ट्री को शिफ्ट करने वाली कंपनियों को सब्सिडी के रूप में प्रोत्साहन देने का ऐलान किया है। इसका भारत को भी फायदा मिलेगा।

Japan will give subsidy to its companies coming from China to India

New Delhi. After India, Japan has given a blow to China. Japan has announced incentives in the form of subsidies to companies shifting their factories from China to ASEAN countries. India will also benefit from this.

जापानी पोर्टल निक्केई एशियन रिव्यू की एक खबर के अनुसार, जापान ने अपने सब्सिडी कार्यक्रम का विस्तार किया है। इसका लक्ष्य एक विशेष क्षेत्र पर अपनी निर्भरता कम करना और ऐसा सिस्टम विकसित करना है, जो आपात स्थितियों में चिकित्सा सामग्री और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की एक स्थायी आपूर्ति मुहैया करा सके।

गौरतलब है कि इसके पहले जुलाई महीने में जापान ने चीन में कारोबार कर रही 57 जापानी कंपनियों को वापस अपने देश बुलाने का फैसला किया था। भारत-जापान ही नहीं अमेरिका, ताइवान जैसे देश भी चीन से अपनी कंपनियों को वापस बुलाने की नीति पर काम कर रहे हैं।

भारत पहले से लगातार चीनी कंपनियों के कारोबार पर अंकुश लगाते हुए भारतीय कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम उठा रहा है। चीन से आने वाले कई तरह के सामान पर एंटी डंपिंग शुल्क लगाया गया है।

चीन सहित भारतीय सीमा से सटे देशों से आने वाले निवेश के नियम को सख्त कर दिया गया है।

भारत को भी मिलेगा फायदा

जापान ने कहा है कि वह उन जापानी कंपनियों को सब्सिडी प्रदान करेगा जो चीन के बजाय आसियान देशों में अपने सामान को तैयार करेंगी। जापान ने भारत और बांग्लादेश को भी इस सूची में शामिल किया है, जहां जापानी कंपनियां अपने उत्पाद तैयार कर सकती हैं।

जापान की अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय (एमईटीआई) ने कहा है कि वह उन जापानी निर्माताओं को सब्सिडी प्रदान करेगा जो चीन के बजाय आसियान देशों में अपने सामान को तैयार करेंगे।

जापान सरकार ने आसियान क्षेत्र में अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने या उनके विस्तार के लिए कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी के तौर पर 2020 के पूरक बजट में 23।5 अरब येन आवंटित किया है।

जापान ने चीन के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए चीन पर निर्भरता को कम करने के लिए यह कदम उठाया है।

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