चीन का चैन लुटाः भारतीय सैनिकों ने कब्जाईं लद्दाख की अहम चोटियां

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन से जारी गतिरोध के बीच खबर है कि जैसे ही चीन के 500 से ज्यादा जवानों ने पैंगोग लेक पर कुद अहम चोटियों और जमीन को कब्जाने की कोशिश की, तो उनका उद्देश्य भांपते हुए भारतीय सैनिकों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पहले ही रणनीतिक महत्व की चोटियों पर कब्जा कर लिया। चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया।

China lost peace: Indian troops capture Ladakh’s key peaks

New Delhi. Amid the ongoing impasse from China on the Line of Actual Control (LAC) in eastern Ladakh, it is reported that as more than 500 Chinese soldiers tried to seize important peaks and land on Pangog Lake, the Indian soldiers sensing their purpose Taking quick action already occupied the peaks of strategic importance. Expelled Chinese troops.

पूर्वी लद्दाख में सीमा पर हालात तनावपूर्ण हैं। चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के भारी हथियारों से लैस होने के बाद भारतीय सेना भी मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार बैठी है, जिसके बाद से स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।

29-30 अगस्त की रात पैंगोंग त्सो झील इलाके में चीनी घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करने के बाद भारत ने भी चीन के मुकाबले सैनिकों और हथियारों की तैनाती बढ़ा दी है। इस मामले से जुड़े परिचित लोगों ने यह जाानकारी दी।

एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि भारतीय सेना को मजबूर करने या यूं कहें कि सेना के मनोबल को तोड़ने के लिए चीनी सेना पूरी तरह से आक्रामक मोड में है और चीनी सेना भारी भरकम हथियार भी दिखा रही है, जिससे चुशुल क्षेत्र में स्थिति बहुत तनावपूर्ण है।

हालांकि, भारतीय सेना ने भी बराबरी के हथियार रखे हैं और विशेष फ्रॉन्टियर फोर्सेज द्वारा मुहिम शुरू कर पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिण और रेजांग ला दोनों में ही प्वाइंट पर चीन को अपना आक्रामक रुख दिखाया है।

इस तरह से अब तक की स्थिति पर गौर करें, तो दोनों सेनाएं हथियार बल के साथ शक्ति प्रदर्शन कर रही हैं।
लद्दाख में 1597 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ किसी भी चीनी आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब देने और उसकी घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए भारतीय सेना पूरी ताकत के साथ मौजूद है।

चीनी सैनिकों के खिलाफ भारतीय जवाबी हमले ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि अब भारतीय सैनिकों का एलएसी के पास पैंगोंग त्सो झील के किनारे ऊंचाई वाले इलाकों पर दबदबा है और इन इलाकों को अपने नियंत्रण में ले लिया है।

इतना ही नहीं, अब यहां बैठकर भारतीय सेना चीनी गतिविधियों की पर भी नजर रख रहे हैं।

झड़प वाले स्थान का ऊंचा इलाका एलएसी के इस पार भारतीय इलाके में है, मगर चीन इसे अपने हिस्से में होने का दावा करता है।

सूत्रों ने बताया कि हाल ही में एक स्पेशल ऑपरेशन बटालियन को इलाके में भेजा गया था। 29-30 अगस्त की दरम्यानी रात चीन की नापाक हरकत के बीच इस बटालियन ने ऊंचे इलाकों को अपने कब्जे में ले लिया, जहां से चीनी सैनिक कुछ सौ मीटर ही दूर थे।

एक दूसरे वरिष्ठ सैन्य कमांडर ने कहा कि स्थिति विकट है और तनाव आगे बढ़ने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि बीजिंग के निर्देश के तहत चीनी सेना भारतीय सेना को को पीछे करने की हिमाकत में जुटी है।

फिलहाल, दोनों देशों के बीच तनाव कम होता नहीं दिख रहा है।

अगर विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच मास्को में शंघाई सहयोग संगठन की ओर से मंत्रीस्तरीय बैठक होती है, तो शांति वार्ता की एक उम्मीद दिखती है। लेकिर पीएलए की ओर से आगे कोई भी कार्रवाई इस कूटनीतिक पहल को खत्म कर देगी।

इससे पहले सोमार को भारतीय सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि चीन की सेना ने 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात एकतरफा तरीके से पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर यथास्थिति बदलने के लिए उकसावेपूर्ण सैन्य गतिविधि की लेकिन भारतीय सैनिकों ने प्रयास को असफल कर दिया।

सूत्र ने कहा कि सेना ने पैंगोंग सो क्षेत्र में स्थित सभी रणनीतिक बिंदुओं पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती को मजबूती प्रदान की है।

सूत्रों ने कहा कि खासी संख्या में चीनी सैनिक पैंगोंग झील के दक्षिणी तट की ओर बढ़ रहे थे जिसका उद्देश्य उक्त क्षेत्र पर अतिक्रमण करना था, लेकिन भारतीय सेना ने प्रयास को नाकाम करने के लिए एक महत्वपूर्ण तैनाती कर दी।

अंग्रेजी अखबार ‘द टेलिग्राफ’ ने एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से दावा किया है कि भारत ने पैंगोंग शो झील इलाके के कुछ रणनीतिक रूप से अहम जगहों पर अपनी पैठ मजबूत कर ली है। दरअसल, जैसे ही भारतीय सेना को चीनी धोखे की भनक लगी देश के जवान वहां मौजूद चौकियों पर पहले ही चढ़ बैठे।

अखबार में कहा गया है कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने कथित तौर पर भारत के क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश की थी।

आधिकारिक सूत्र के हवाले से टेलिग्राफ ने कहा है कि चीन के हमले के जवाब में स्पेशल ऑपरेशन्स बटालियन ने पैंगोंग झील के पास पहाड़ी पर एक स्थान पर अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है। सूत्र ने यह भी दावा किया है कि हालात के और तनावपूर्ण होने की आशंका है।

चौकियों पर पहले ही चढ़ बैठे भारतीय सैनिक

भारत के सैनिक अब साउथ बैंक ऑफ पैंगोंग शो में ऊंचाई पर भी तैनात हैं, जिससे वह चीन के मुकाबले अडवांस पोजिशन में हैं।

सूत्रों के मुताबिक जब चीन की घुसपैठ की कोशिश की खबर लगी, तो भारतीय सैनिक अहम जगहों पर पहले ही पहुंच गए और उन पॉइंट्स पर अपनी स्थित ज्यादा मजबूत कर ली, जिस पर दोनों देश अपना होने का दावा करते हैं।

अगर हम नॉर्थ बैंक को देखें, यानी फिंगर एरिया को, तो वहां चीनी सैनिक फिंगर-4 की चोटी पर बैठे हैं और हाइट का फायदा लेने की कोशिश कर रहे हैं। अब साउथ बैंक में भारतीय सैनिकों ने वही किया है और ऊंचाई पर तैनाती कर डट गए हैं।

चीन ने भारत पर लगाया आरोप

चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने पीएलए के पश्चिमी कमान के हवाले से कहा कि भारतीय सेना ने दोनों देशों के बीच जारी बातचीत में बनी सहमति का उल्लंघन किया है। सोमवार को भारतीय सेना ने जान-बूझकर वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया और जान-बूझकर उकसावे की कार्रवाई की।
वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिन ने कहा कि चीन के सैनिक हमेशा से कड़ाई से वास्तविक नियंत्रण रेखा का पालन करते हैं। वे कभी एलएसी को पार नहीं करते हैं। दोनों ही तरफ की सेनाएं वहां की स्थिति को लेकर बातचीत कर रही हैं।

चीनी मीडिया की भारत को धमकी

चीन के प्रॉपगैंडा अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा है कि भारत चीन की टक्कर में नहीं है और अखबार के संपादक हू शिजिन ने ट्वीट कर सीधे दावा किया है कि पैंगॉन्ग विवाद का अंत भारत की हार में होगा। संपादकीय में कहा गया है, ‘अगर भारत को सैन्य टक्कर लेनी है, तो पीएलए भारतीय सेना को 1962 से ज्यादा नुकसान कराएगी ही।’

दोनों देशों के बीच पहली बार गलवान घाटी में 15 जून को एक हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन ने उसके हताहत हुए सैनिकों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी लेकिन अमेरिका खुफिया रिपोर्ट के अनुसार उसके 35 सैनिक हताहत हुए थे। भारत और चीन ने पिछले ढाई महीने में कई स्त्तर की सैन्य और राजनयिक बातचीत की है, लेकिन पूर्वी लद्दाख मामले पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।

 

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