फरीदाबाद के कांग्रेसियों में घमासानः मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम

 

फरीदाबाद। फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र को लेकर दो पूर्व प्रत्याशियों में घमासान छिड़ गया है। दोनों ही कांग्रेसी नेताओं का यह क्षेत्र कार्यक्षेत्र रह चुका है। इसलिए एक नेता की आपत्ति है कि दूसरा नेता उनके क्षेत्र में क्यों आता है।

Conflict among Congress leaders of Faridabad

माजरा यह है कि फरीदाबाद क्षेत्र से आनंद कौशिक पूर्व विधायक रह चुके हैं।

उनके अनुज और उनके राजनीतिक कर्धा-धर्ता बलजीत कौशिक महात्मा कॉलोनी में गए थे।

इस कॉलोनी में पेयजल की भारी किल्लत है।

बलजीत कौशिक कॉलोनियों में विकास कार्यों और अपनी पैठ के लिए मशहूर हैं।

कॉलोनियों में समस्याएं होने पर लोग उन्हें बुलाते हैं।

इसलिए बलजीत कॉलोनी पहंुचे और उन्होंने आश्वासन दिया कि वे शीघ्र ही अधिकारियों से मिलकर समस्या का समाधान करवाएंगे।

लखन की आपत्ति

पिछले चुनाव में पूर्व विधायक शारदा राठौड़ के पाला बदलने के कारण कांग्रेस ने आनंद कौशिक को फरीदाबाद के बजाय बल्लभगढ़ सीट पर प्रत्याशी बना दिया था।

जहां मूलचंद शर्मा के मुकाबले आनंद कौशिक चुनाव हार गए।

जबकि फरीदाबाद क्षेत्र से लखन सिंगल कांग्रेसी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और भाजपा के नरेंद्र गुप्ता के हाथों बाजी हार गए।

इस कारण लखन का मानना है कि यह क्षेत्र उनका है और बलजीत कौशिक को उनके क्षेत्र में नहीं आना चाहिए।

बात हाईकमान तक जाएगी

इस पर पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी लखन सिंगला ने ऐतराज जताते हुए कहा कि कौशिक बंधुओं ने बल्लभगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ा था, जबकि वह फरीदाबाद से चुनाव लड़े थे। ऐसे में हर नेता को अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में काम करना चाहिए, न कि एक दूसरे के विधानसभा क्षेत्र में दखलदांजी करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि कौशिक द्वारा उनके क्षेत्र में समस्याएं सुनना पूरी तरह से आधारहीन है। वह बल्लभगढ़ भी घूमते हैं और फरीदाबाद भी। क्या वह लोकसभा का चुनाव लडना चाहते हैं। क्या उन्हें ऊपर से कोई आदेश मिला है, वह स्पष्ट करें।

लखन सिंगला ने कहा कि वे इस मुद्दे को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष रखेंगे, ताकि भविष्य में कोई भी नेता किसी दूसरे नेता की विधानसभा क्षेत्रों में जाकर दखलंदाजी न करे।

जाना ही पड़ता है

इस बारे में बलजीत कौशिक का कहना है कि उन्होंने दोनों क्षेत्रों में कार्य किया है। दोनों ही क्षेत्रों से उनके भाई प्रत्याशी रहे हैं। लोग बुलाते हैं, तो उन्हें जाना ही पड़ता है।

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