फरीदाबादः बियर मांगकर पेट में मारी गोली

 

फरीदाबाद। यहां सेक्टर 83 में 2 अज्ञात बाइकर्स ने एक युवक के पेट में गोली मार दी।

Faridabad: Bullet shot in the stomach by asking for beer

सूत्रों का कहना है कि धर्मेंद्र नामक युवक तिगांव का निवासी है।

वह सेक्टर 83 स्थित ठेके पर सेल्समैन है।

वह ठेके पर बीती रात तैनात था।

तभी 2 बाइकर युवक वहां पहुंचते हैं।

उनमें से एक युवक सेल्समैन से बियर मांगता है।

धर्मेंद्र उन्हें ग्राहक समझकर बियर देने का उपक्रम करता है।

इसी बीच बाइक पर पीछे बैठे युवक ने उसे गोली मार दी।

धर्मेंद्र का भाग्य भी शक्तिशाली निकला, हमलावर का निशाना थोड़ा चूक गया।

गोली बगल से पेट को छीलती हुई निकल गई।

इससे बचाव हो गया।

बाइकर्स फायरिंग के बाद फुर्र हो गए।

तुरंत घायल धर्मेंद्र को एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

जाहिर है कि कोरोना काल में सबके मुख पर ढक्कन रहता है और धर्मेंद्र हमलावरों को पहचान नहीं पाया है।

जल्द दबोचे जाएंगे

बीपीटीपी के एसएचओ वीरेंद्र सिंह ने हिंट न्यूज को बताया कि धर्मेंद्र ने प्राथमिक तौर पर कुछ जानकारी दी है।

उन्होंने बताया कि अभी तक हमलावर अज्ञात हैं और शीघ्र उनकी शिनाख्त करके दबोच लिया जाएगा।

हिंट न्यूज सलाहः

फरीदाबाद जनपद शांतिपूर्ण स्थानों में शुमार होता है।

जहां शांति और सुरक्षा होती है, वहां श्री का वास होता है। इससे समृद्धि, कला, संस्कृति, परंपरा और सभ्यता का विकास होता है।

शांति का लाभ अपराधी भी उठाते हैं।

विकास दुबे की फरीदाबाद में नमूदारी इसका अद्यतन उदाहरण है।

पिछले कुछ अरसे में तिगांव क्षेत्र बहुत संवेदनशील हो गया है।

यहां कई हत्याएं हुई हैं।

बंबईया स्टाइल में माफिया के गुंडे सोसायटियों के संवासियों और सभ्य पेशेवरों के हाथ-पैर तोड़ रहे हैं।

भारत के संविधान प्रदत्त रहने, बसने, बोलने और व्यापार की स्वतंत्रता के अधिकार को ये गुंडे धता बता रहे हैं।

सोसायटियों पर इस गुंडई का दबाव है कि अखबार, सब्जियां, इलेक्ट्रिशियन आदि अन्यान्य सामान और सेवाएं ये माफिया ही प्रदान करेंगे।

नहीं तो, खैर नहीं।

यह स्थिति कानून एवं व्यवस्था को सीधी चुनौती है।

यह शहर को अशांत बनाने का प्रयास है।

यहां दो संस्थाओं के तत्काल हस्तक्षेप से स्थिति नियंत्रण में हो सकती है।

पुलिस इस क्षेत्र में स्मार्ट पुलिसिंग के साथ छोटी-छोटी घटनाओं पर संजीदगी से अमल करे, तो बड़ी घटनाएं रुक सकती हैं।

यहां की कदीमी चौरासी पाल की सर्व समाज सरदारी को अविलंव एक महापंचात आहूत करके बढ़ते अपराध पर चिंतन, मनन और विमर्श करना चाहिए।

समाज में केवल परिचितों के प्रति आदर के साथ अपरिचितों के प्रति हेयता और असम्मान विकसित होने लगे, तो यह किसी भी सभ्य समाज के पतन का प्रारंभ समझा जाना चाहिए।

चौरासी पाल से अरदास है कि उसकी सरदारी नई पीढ़ी में लोक व्यवहार के लिए संस्कार सिंचन का बीड़ा उठाए।

ताकि कोई अज्ञात, धर्मेंद्र सरीखे युवा पर हमले का दुस्साहस न कर सके।

 

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