ऊर्जा क्षेत्र में आयात के रिप्लेसमेंट को वरीयता दी जाएगी: आरके सिंह

नई दिल्ली। केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और कौशल विकास एवं उद्यमिता (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री आर. के. सिंह ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऊर्जा मंत्रियों को संबोधित करते हुए ऊर्जा क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित आत्म-निर्भर भारत अभियान की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 में ऊर्जा उपकरणों के लिए देश का आयात बिल लगभग 71,000 करोड़ रुपये का था, जबकि ऊर्जा क्षेत्र की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारे पास विनिर्माण सुविधा और क्षमता है। इसमें 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का चीन से आयात शामिल है।

Replacement of imports in energy sector will be given priority: RK Singh

उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र सामरिक महत्व का और आवश्यक होने की वजह से साइबर हमले के लिहाज से आसान लक्ष्य है। इसलिए उन्होंने आगे कहा कि आयातित उपकरण ट्रोजन इत्यादि जैसी गलत चीजों के प्रवाह को रोकने के लिए परीक्षण के अधीन हैं।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि देश के भीतर ऊर्जा अवसंरचना उपकरणों के विनिर्माण को बढ़ावा देने को लेकर भी हमें गंभीर प्रयास करने चाहिए।

आर. के. सिंह ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में बहुत उपलब्धियां हासिल की गईं है जिनमें वर्ष 2014 से सालाना लगभग 15,000 मेगावाट अतिरिक्त क्षमता का जुड़ाव, और लेह तथा लद्दाख जैसे दूर-दराज के इलाकों सहित पूरे देश को एक ग्रिड के साथ जोड़ना शामिल हैं। भारत की ग्रिड प्रणाली दुनिया की बेहतर ग्रिड प्रणालियों में से एक है जिसकी क्षमता 5 अप्रैल, 2020 को लोगों के तयशुदा समय में बिजली काटने के दौरान देखी गई जब हमारे ग्रिड ने बहुत ही छोटी अवधि के दौरान बिजली की मांग में तेज गिरावट और मांग में भारी तेजी की स्थिति को संभाला।

उन्होंने कहा कि अब बिजली क्षेत्र में बड़ी चुनौती बिजली वितरण कंपनियों को व्यवहार्य बनाना और हमारे देश को बिजली क्षेत्र से संबंधित उपकरणों के विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाना है। भारत सरकार द्वारा घोषित पैकेज के तहत 31 मार्च, 2020 तक हुई घाटे की भरपाई के लिए डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये तक दिए गए।

उन्होंने बताया कि इसके तहत राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों से लगभग 93,000 करोड़ रुपये की मांग की गई है जिसमें से अब तक 20,000 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है जबकि शेष मांगों पर तेजी से कार्रवाई की जा रही है।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मीडिया से बातचीत करते हुए सिंह ने बताया कि विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों ने जून, 2020 तक के अपने घाटे की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से पैकेज को बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। मंत्री जी ने कहा कि समर्थन को आगे बढ़ाने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों की मांग पर केंद्र सरकार द्वारा विचार किया जाएगा।

सिंह ने यह भी बताया कि दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) और इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आईपीडीएस) का विलय करने के बाद जल्द ही नई योजना घोषित की जाएगी। नई योजना में केंद्र द्वारा राज्यों को सशर्त फंडिंग की जा रही है। जिन राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के डिस्कॉम घाटे में नहीं चल रहे हैं, उन्हें फंड प्राप्त करने में कोई समस्या उत्पन्न नहीं होगी लेकिन जिन राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के डिस्कॉम घाटे में चल रहे हैं, उन्हें उचित योजना बतानी होगी कि वे किस प्रकार से फंड प्राप्ति के लिए अपने घाटे को खत्म करेंगे।

उन्होंने कहा कि नई योजना में राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को कुछ रियायत मिलेगी जिससे वे अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप योजना बना सकेंगें। श्री सिंह ने इस बात को रेखांकित किया कि राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को बिजली क्षेत्र में संरचनात्मक सुधार के लिए प्रत्येक 3-4 वर्ष में लगभग 1.5 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं, लेकिन नुकसान में कटौती का सही रूप से पालन नहीं करने के कारण वही स्थिति फिर पहले जैसे ही हो गई। यही कारण है कि फंडिंग को सुधारों के साथ जोड़ने के लिए, नई योजना का पालन करना प्रस्तावित किया गया है।

सिंह ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन अवधि के दौरान सराहनीय काम करने के लिए बिजली क्षेत्र से संबंधित अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अब हमने 1.85 लाख मेगावाट की मांग के जवाब में 3.7 लाख मेगावाट की बिजली उत्पादन क्षमता हासिल कर ली है। हम कई देशों को बिजली की आपूर्ति भी कर रहे हैं।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के दूसरे सत्र में नवीन और अक्षय ऊर्जा (एनआरई) के मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि हम ‘कुसुम योजना’ पर एक नया संस्करण शुरू करने की योजना बना रहे हैं जिसमें कृषि क्षेत्र को सौर ऊर्जा से युक्त किया जाएगा। इससे अगले 3-4 वर्षों में राज्य सरकारों पर से सब्सिडी का वो बोझ खत्म हो जाएगा जो वो सिंचाई में देते हैं।

उन्होंने उन सभी मुख्यमंत्रियों, उप-मुख्यमंत्रियों और ऊर्जा एवं एनआरई मंत्रियों को धन्यवाद दिया जिन्होंने इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया और अपने अनमोल सुझाव दिए और राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों की आशंकाओं पर चर्चा की और उन्हें दूर किया।

मंत्री जी ने कहा कि विभिन्न राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकारों और अन्य हितधारकों ने प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 पर कई सुझाव दिए हैं और बैठक के दौरान दिए गए सुझावों को नोट किया गया और उनकी निराधार आशंकाओं को दूर किया गया।

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