कृषि विरोधी काले कानूनों के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने मनाया ‘किसान अधिकार दिवस’

फरीदाबाद। कांग्रेसजनों द्वारा सेक्टर 12 स्थित लघु सचिवालय में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के जन्मदिन व स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी जी के शहीदी दिवस के अवसर ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाया गया।

Congress Party protest as Farmers’ Rights Day against anti-agricultural laws

Faridabad. The ‘Farmers’ Rights Day’ was organized by the Congressmen in the Small Secretariat at Sector 12 on the occasion of the birthday of Iron Man Sardar Vallabhbhai Patel and Martyr’s Day of the late Mrs. Indira Gandhi.

हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा जी के निर्देशानुसार आयोजित इस कार्यक्रम में विधायक नीरज शर्मा, सुधा भारद्वाज कार्यकारी अध्यक्ष हरियाणा महिला कांग्रेस, प्रदेश प्रवक्ता सुमित गौड, योगेश ढींगड़ा, बलजीत कौशिक, गुलशन बग्गा, एसएल शर्मा, मुकेश शर्मा, राजेन्द्र भामला, अशोक रावल, अनीशपाल, रेणू चौहान, डौ. सौरभ शर्मा सहित सभी कांग्रेसजनों ने फरीदाबाद के बेटी निकिता तोमर को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और एकमत में दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग उठाई।

कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार अपने तीन किसान विरोधी काले कानूनों के माध्यम से किसान, आढ़तियों खेत- मजदूर, छोटे दुकानदार, मंडी मजदूर, कर्मचारियों की आजीविका पर एक क्रूर हमला बोला है। यह किसान, खेत और खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षड्यंत्र है। भाजपा सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से देश की हरित क्रांति को हराने की साजिश कर रही है। देश के अन्नदाता व भाग्यविधाता किसान तथा खेत मजदूरों की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों में गिरवी रखने का भाजपाई कुप्रयास है।

उन्होंने कहा कि आज देश भर के 62 करोड़ किसान-मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश भाजपा सरकार सभी आवाजों को दबाते हुए देश को बरगला रही है। अन्नदाताओं की बात सुनना तो दूर, यह जनविरोधी सरकार तो किसानों को सरेआम लाठियों से पिटवा रही है।

उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे का उल्लंधन कर, संविधान को रौंदकर, संसदीय प्रणाली को दरकिनार कर बहुमत के आधार पर दमनकारी भाजपा सरकार ने संसद के अंदर संसदीय गरिमा को कुचलते हुए जबरन तथा बगैर किसी चर्चा के अलोकतांत्रिक तरीके से इन बिलों को पारित करवा लिया। यहां तक कि राज्यसभा प्रजातंत्र को तार-तार कर ये काले कानून पारित किए गए।

उन्होंने कहा कि आज अगर अनाज मंडी-सब्जी मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी, तो ‘कृषि उपज खरीद प्रणाली’ भी पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कैसे मिलेगा, कहां मिलेगा और कौन देगा? मंडियों के खत्म होते ही अनाज मंडी- सब्जी मंडी में काम करने वाले लाखों मजदूरों और आढ़तियों की आजीविका अपने आप खत्म हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि इन काले कानूनों के माध्यम से किसानों को ठेका प्रथा में फंसाकर उन्हें अपनी ही जमीन में मजदूर बना दिया जाएगा। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की सबसे बड़ी खामी तो यही है की इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य देना अनिवार्य नहीं है, इससे हमारे अन्नदाता किसान बड़ी-बड़ी कंपनियों के गुलाम बन जाएंगे।

 

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