जकार्ता। रूस, ब्रिटेन, अमेरिका समेत कई देशों में कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान शुरू हो गया है। जबकि कई देश इसकी तैयारियों में जुटे हैं। वहीं दुनिया भर के इस्लामिक धर्मगुरुओं के बीच इस बात को लेकर असमंजस है कि सुअर के मांस का इस्तेमाल कर बनाए गए कोरोना टीके इस्लामिक कानून के तहत जायज हैं या नहीं। इसे लगवाया जाए या नहीं।
In Maulana vetting on pork in the corona vaccine, yes or no
Jakarta. Vaccination campaigns have started in several countries, including Russia, Britain, the US, to protect against the corona virus. While many countries are busy in its preparations. At the same time, there is confusion among Islamic religious leaders around the world about whether the Corona vaccines made using pork are justified under Islamic law. Whether it should be installed or not.
एक ओर कई कंपनियां कोरोना टीका तैयार करने में जुटी हैं और कई देश टीकों की खुराक हासिल करने की तैयारियां कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर कुछ धार्मिक समूहों द्वारा प्रतिबंधित सुअर के मांस से बने उत्पादों को लेकर सवाल उठ रहे हैं, जिसके चलते टीकाकरण अभियान के बाधित होने की आशंका जताई जा रही है।
भंडारण और परिवहन के दौरान टीकों को प्रभावी बनाए रखने के लिए सुअर के मांस से बनने वाली जिलेटिन को स्टेबलाइजर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
कुछ कंपनियां वर्षो से सुअर के मांस से मुक्त टीके बनाने के काम में लगी हैं। स्विटजरलैंड की कंपनी नोवार्टिस ने सुअर के मांस से मुक्त मेनिनजाइटिस का टीका बनाया है, जबकि सऊदी अरब और मलेशिया स्थित एजे फार्मा भी इसी तरह के एक टीके पर काम कर रही है।
फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका के प्रवक्ताओं ने कहा है कि उनकी कंपनियों ने जो टीके बनाए हैं, उसमें सुअर के मांस से बने उत्पाद का इस्तेमाल नहीं किया गया है। हालांकि इंडोनेशिया जैसी बड़ी मुस्लिम आबादी में पहुंचने वाले दूसरी कंपनियों के टीके सुअर के मांस से बने उत्पाद से मुक्त होंगे, इस विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता है।