चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश को प्रतिस्पर्धात्मक और पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करने, क्षेत्रीय विकास को हासिल करने और लचीले आर्थिक विकास के माध्यम से यहां के लोगों को आजीविका के अवसर मुहैया करवाने के उद्देश्य से हरियाणा उद्यम एवं रोजगार नीति, 2020 को स्वीकृति प्रदान की गई।
Approval of Haryana Enterprise and Employment Policy, 2020, emphasis will be on auto, light engineering, agro-based, food processing, textile, electronic, defense and aerospace manufacturing, pharma, medical, chemical and petrochemical, large scale energy, date storage
Chandigarh. In a cabinet meeting chaired by Haryana Chief Minister Manohar Lal today, to establish the state as a competitive and preferred investment destination, to achieve regional development and to provide livelihood opportunities to the people through flexible economic development. Haryana Enterprise and Employment Policy, 2020 was approved for the purpose.
इस नीति का उद्देश्य प्रदेश में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित करना और 5 लाख रोजगार पैदा करना है।
हरियाणा उद्यम एवं रोजगार नीति, 2020 का फोकस मजबूत औद्योगिक विकास के बल पर लचीली अर्थव्यवस्था बनाने पर रहेगा। नीति में वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले अवसरों का लाभ उठाने और राज्य में औद्योगिक विकास को आत्मनिर्भर भारत मिशन जैसी राष्ट्रीय पहल के साथ संरेखित करने की परिकल्पना की गई है। इस नीति में आपूर्ति श्रृंखला, विद्युत गतिशीलता, कृषि-तकनीक, ग्रीन मैन्यूफैक्चरिंग, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य एवं फार्मा और विकास के लिए अन्य नए अवसरों में उभरती प्रवृत्तियों का ध्यान रखा गया है।
निवेशकों को सेवाओं की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए, हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 में 41 नई सेवाओं को शामिल किया जाएगा। अतिरिक्त 36 नई सेवाओं के एकीकरण से सिंगल विंडो सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा।
यह नीति प्रदेश-भर में संतुलित क्षेत्रीय विकास की आवश्यकता पर बल देती है। औद्योगिक विकास के आधार पर राज्य को 4 श्रेणी खण्डों में विभाजित किया गया है। ‘ए’ श्रेणी ब्लॉक में औद्योगिक रूप से विकसित क्षेत्र, ‘बी’ श्रेणी के ब्लॉक में मध्यवर्ती विकास के क्षेत्र जबकि ‘सी’ श्रेणी के ब्लॉक में औद्योगिक रूप से पिछड़े क्षेत्र शामिल हैं। इसी तरह, ‘डी’ श्रेणी के ब्लॉक में औद्योगिक रूप से अति पिछड़े क्षेत्र शामिल हैं। इन श्रेणी ब्लॉक (अधिकतम ‘डी’ श्रेणी के ब्लॉक में) में ग्रेडेड प्रोत्साहन प्रदान किए जाएंगे। यह वर्गीकरण अब ‘ए’ श्रेणी-13 (पहले भी 13), ‘बी’ श्रेणी-21 (पहले 23), ‘सी’ श्रेणी-40 (पहले 56), ‘डी’ श्रेणी-66 (पहले 66) है।
इस नीति में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के विकास और उनका कारोबार बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया है। इसमें एमएसएमई के एक विनियामक से एक मददकर्ता या फेसिलिटेटर के रूप में आदर्श बदलाव लाने की परिकल्पना की गई है। राज्य सरकार ने वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने में एमएसएमई क्षेत्र की सहायता के लिए कई पहल की हैं। राज्य में एमएसएमई क्षेत्र के विकास पर बल देने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कलस्टर विकास, बाजार संपर्कों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने, बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी तक पहुंच बढ़ाने, विनियामक सरलीकरण, बुनियादी ढांचे सम्बन्धी सहायता और राजकोषीय प्रोत्साहनों की परिकल्पना की गई है।
राज्य में कारोबार की लागत को कम करने और उद्योग की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए, इस नीति में एमएसएमई, बड़े, मेगा और अल्ट्रा-मेगा इंटरप्राइजेज, निर्यात इकाइयों, थ्रस्ट सेक्टर इंटरप्राइजेज, आवश्यक क्षेत्र के उद्यमों, इम्पोर्ट सब्स्टिट्यूशन इंटरप्राइजेज और चिह्नित सेवा उद्यमों को आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहनों की एक पूरी श्रृंखला की पेशकश की गई है। हरियाणा उद्यम प्रोत्साहन बोर्ड द्वारा विशेष प्रोत्साहन के पैकेज के लिए इस नीति के तहत परिभाषित अल्ट्रा-मेगा, मेगा और कलस्टर परियोजनाओं पर भी विचार किया जाएगा।
‘आत्म-निर्भर भारत’ की राष्ट्रीय मुहिम को और बढ़ावा देने के लिए, इम्पोर्ट सब्स्टिट्यूशन की सहायता करने वाले पात्र उद्यमों को भूमि की कीमत पर रियायत भी प्रदान की जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में घर-द्वार पर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए सूक्ष्म उद्यमों की सहायता के लिए, इस नीति के तहत हरियाणा ग्रामीण विकास योजना शुरू की जाएगी। इस नीति के तहत प्रदेश में समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं और अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा चलाए जाने वाले सूक्ष्म उद्यमों और स्टार्ट-अप को भी प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
इस नीति के तहत ऑटो, ऑटो कम्पोनेंट्स और लाइट इंजीनियरिंग, कृषि-आधारित, खाद्य प्रसंस्करण और संबद्ध उद्योग, कपड़ा और वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ईएसजीएम), प्रतिरक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण, फार्मास्युटिकल और चिकित्सा उपकरणों, रासायनिक और पेट्रोकेमिकल तथा लार्ज स्केल एनर्जी और डेट स्टोरेज पर विशेष बल दिया जाएगा।