नई दिल्ली। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीनी राजदूत हाउ यांकी की अदाओं में फंसे नेपाल पीएम केपी शर्मा ओली अब अपने ही घर में बुरी तरह घिर गए हैं। उन्होंने चीन के प्रति नमकहलाली के लिए प्रभु श्री राम के लिए बारे में तथ्यों से छेड़छाड़ करके बर्र के छत्तें में हाथ दे दिया है। नेपाल में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन बढ़ गए हैं।
Nepali PM Oli trapped badly, saints protest in Janakpur, burn effigy of Jinping in Lumbni
ओली ने नेपाल में एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया कि प्रभु श्री राम भारत के नहीं, बल्कि नेपाल के नागरिक थे। साथ ही अयोध्या भारत में नहीं नेपाल में है।
चीन प्रेम में ओली के इस शेखचिल्ली दावे पर नेपाल के लोग ही उनका मजाक उड़ा रहे हैं।
लोगों को विश्वास नहीं हो पा रहा है कि चीन के लिए ओली इस सीमा तक गिर सकते हैं।
इसलिए नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। पूर्व पीएम कमल दल प्रचंड लगातार ओली से इस्तीफा मांग रहे हैं।
ओली इस हद तक बैकफुट पर आ गए हैं कि उन्हें एक बैठक में यहां तक कहना पड़ा कि उनकी जगह फिर कौन पीएम बनेगा।
उनका यह हताशापूर्ण कथन दर्शाता है कि ओली प्रभु राम के बारे में आधारहीन टिप्पणी करके अपना राजनीतिक करिअर समाप्त कर चुके हैं।
ताजा समाचार है कि नेपाल के लोग अब भारत के साथ सदियों पुराने रोटी-बेटी के संबंध बचाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं, तो संत समाज ने भी ओली को आड़े दिया है।
नेपाल के संत समाज ने 18 जुलाई को जनकपुर में प्रखर विरोध प्रदर्शन किया।
जनकपुर जगद जगदंबा मैया सीता का मायका है।
जहां जानकी मैया ने विदेही राज राजा सीरद्धज जनक के घर जन्म लिया था।
संतों ने समवेत स्वर में कहा कि ओली प्रभु श्री राम के संबंध में दिया गया अपना बयान वापस लें।
संतों ने कहा कि ओली चीन के हाथों नेपाल को बेचने से बाज आएं।
उन्होंने कहा कि चीन किसी का सगा नहीं है। चीन अन्य छोटे देशों की तरह नेपाल को कर्ज में फंसाकर भारत के साथ शताब्दियों पुरानें संबंधों को बिगाड़ना चाहता है।
संतों के साथ वहां के स्थानीय लोगों ने हजारों की संख्या में जनकपुर और अयोध्या के संबंधों को स्थायी रखने का संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि ओली हिंदुओं की आस्था पर चोट करने का प्रयास न करें।
जनकपुर की तरह भगवान गौतम बुद्ध की जन्म स्थली लुंबिनी में नेपाली भाईयों ने चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का पुतला दहन करके ओली को ठेंगा दिखाते हुए भारत के साथ अपने संबंधों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाई।
नेपाल में चीन के खिलाफ एक बड़ा तबका लामबंद होने लगा है।
चीन की शह पर नेपाल की ओली सरकार पर अंगीकृत नागरिकता लाकर मधेशियों का हक छीनने का प्रयास कर रही है।
इससे यहां का मधेशी समुदाय भड़का हुआ है।
जनमत पार्टी के रूपनदेही अध्यक्ष रामकेश गुप्ता ने कहा कि नेपाल सरकार की नागरिकता कानून का उनकी पार्टी विरोध करती है। हर गांव में इस आने वाले कानून के खिलाफ पार्टी जनजागरण कर रही है। बैठकों व सभा के जरिए लोगों को एकजुट किया जा रहा है।
जनता को बताया जा रहा है कि चीन की शह पर ओली सरकार मधेशी जनता के संग विभेद कर रही है।