फरीदाबाद का प्लाज्मा बैंकः कोई नियम-कानून है या सब ताक पर रख दिया

फरीदाबाद। शहर में कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए प्लाज्मा बैंक बनाया गया है। प्लाज्मा बैंक बन गया है और सीएमओ को इसकी कोई सूचना ही नहीं है। सवाल यह है कि जिले में मेडिकल टर्म में सीएमओ से बड़ी तकनीकी अथॉरिटी कौन है, जिसकी मर्जी से प्लाज्मा बैंक बना है।

Plasma Bank of Faridabad: Is there any law or put all eyes off

Faridabad. A plasma bank has been built to help the corona victims in the city. The plasma bank has been formed and the CMO has no information about it. The question is who is the greater technical authority than the CMO in the medical term in the district, which has a plasma bank of its own accord.

शहर के लोग भूले नहीं है कि कुछ साल पहले कुछ संस्थाओं ने रक्तदान शिविर आयोजित किया था।

इसका पता चलते ही सीएमओ बीच में कूद पड़े थे कि स्वास्थ्य विभाग से रक्तदान शिविर की अनुमति नहीं ली गई।

उसके बाद नियम बना दिया गया कि हर रक्तदान शिविर के लिए सीएमओ की अनुमति चाहिए।

यहां तक रक्तदान के प्रमुख सेवा ब्रांड रोटरी क्लब को भी शिविर आयोजन के लिए अनुमति चाहिए होती है।

आज आलम यह है कि महामारी के दौर में धड़ल्ले से प्लाज्मा बैंक बन रहा है, लेकिन सीएमओ को पता ही नहीं है।

इसका खुलासा तब हुआ, जब आरटीआई कार्यकर्ता अजय बहल ने प्लाज्मा बैंक के बारे में कुछ जानकारी मांगी।

इस पर सीएमओ ने जवाब दिया कि इससे संबंधित कोई सूचना उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।

जबकि शहर में प्लाज्मा बैंक काम शुरू कर चुका है।

इसकी एक वेबसाइट भी बन https://fbdplasmabank.com चुकी है।

दावा किया जा रहा है कि प्लाज्मा देने के लिये कोई भी डोनर प्लाज्मा देना चाहे, तो इस साइट पर रजिस्टर करे। आपसे

हमारी टीम संपर्क करेगी।

यह कैसा प्लाज्मा बैंक है

आरटीआई कार्यकर्ता अजय बहल ने बताया कि फरीदाबाद जिले में स्थापित किए गए हरियाणा राज्य के पहले प्लाज्मा बैंक संबंधित जानकारी हेतु एक आरटीआई उपायुक्त कार्यालय में दिनांक 28 जुलाई को लगाई थी, जिसे उपायुक्त फरीदाबाद कार्यालय के जन सूचना अधिकारी द्वारा सिविल सर्जन फरीदाबाद को स्थानांतरित कर दिया गया था।

उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को सिविल सर्जन फरीदाबाद कार्यालय से प्राप्त सूचना के अनुसार प्लाज्मा बैंक को स्थापित करने के बारे में कोई भी जानकारी उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।

यानि प्लाज्मा बैंक के बारे में न तो जिला उपायुक्त कार्यालय को पता है और न सीएमओ को।

बहल कहते हैं कि जिले में यह कैसा प्लाज्मा बैंक स्थापित किया गया है, जिसकी जानकारी जिले के सिविल सर्जन तक को नहीं है।

कई सवाल

क्या महामारी के दौर में प्लाज्मा बैंक जैसी संस्था खड़ी करने के लिए सीएमओ से कोई सलाह नहीं मांगी गई।

क्या शहर में सीएमओ से अधिक बड़ा सक्षम अधिकारी है, जो किसी मेडिकल संस्थान के भविष्य का तकनीकी निर्णय कर सके।

किसी भी संस्था के गठन के लिए प्रशासकीय निर्णय के अतिरिक्त तकनीकी निर्णय के लिए संबंधित विभाग की अनुशंसा का नियम ही नहीं, पे्रसिडेंस भी है।

ये जो प्लाजमा बैंक बना है, वह निजी क्षेत्र का है या सरकारी क्षेत्र का।

प्लाज्मा बैंक में कोई अनियमितता होती है, तो सरकार के प्रति कौन सी सरकारी एजेंसी उत्तरदायी होगी।

सलाह

प्लाज्मा बैंक शहर की आवश्यकता है और इस महामारी में मानवता के संरक्षण के लिए अनुपत कृत्य है।

यह बनना चाहिए।

इसे शहर के कुछ कर्मठ और रक्तदान अभियान से जुड़े सेवासेवियों ने शुरू किया है।

किंतु नियम-कानून के दायरे में बने, तो किसी भी तकनीकी अनियमितता से बचा जा सकेगा।

अभी भी देर नहीं हुई है।

इसके लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की जा सकती हैं।

Update

प्रतिक्रिया आई है

प्लाज्मा बैंक से जुड़े रक्तदान कार्यकर्ता उमेश अरोड़ा ने अजय बहल जी को प्रतिक्रिया दी है।

अजय बहल जी, प्लाज्मा बैंक के बारे मे जितना कार्य कर सकते हैं, कर रहे हैं।

इस बारे में डिस्कस करने के लिये आपको कॉल किया था। कागजों में अभी जानकारी ज्यादा उपलब्ध नहीं है, पर अगर आप कुछ भी जानना चाहें, तो आपका स्वागत है।

प्लाज्मा बैंक ईएसआईसी द्वारा स्थापित किया गया है।

रेड क्रॉस केवल उसके एडमिनिस्ट्रिेशन मंे मदद कर रहा है और मैं स्वेच्छा से इस टॉपिक पर पिछले लगभग 40- 45 दिनांे से कोशिश कर रहा हूं।

किसी भी जानकारी के लिये किसी का भी स्वागत है।

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