बोइंग ने भारत को सौंपे सभी अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर, वायुसेना की फायर पावर बढ़ेगी 

 

नई दिल्ली। अमेरिकी एविएशन कंपनी बोइंग ने भारतीय वायुसेना को सभी अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर की डिलीवरी कर दी है। 22 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर में से अंतिम पांच की डिलीवरी वायुसेना को जून में हिंडन एयरबेस पर की गई। यह पूरी फ्लीट अब वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास प्रमुख हवाई ठिकानों पर तैनात विमानों एवं हेलीकाप्टरों का हिस्सा बन गई है।

Boeing hand over all Apache and Chinook helicopters to India; Air Force’s firepower will increase

इससे पहले बोइंग ने 15 चिनूक हैविलिफ्ट हेलीकॉप्टर में अंतिम पांच मार्च में वायुसेना को सौंपे थे।

अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टरों, दोनों को ही पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के मद्देनजर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे क्षेत्रों में भारतीय वायुसेना की तैनाती के तहत सेवा में तैनात किया गया है।

नवीनतम संचार, नेविगेशन, सेंसर और हथियार

भारत उन 17 देशों में से एक है जिसने अपाचे हेलीकॉप्टर का चयन किया है और भारत के पास इसका सबसे उन्नत संस्करण AH-64E है।

इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल अमेरिका समेत कई अन्य देश करते हैं।

यह नवीनतम संचार, नेविगेशन, सेंसर और हथियार प्रणालियों सहित एक ओपन सिस्टम आर्किटेक्चर से लैस है।

इसमें बेहतर की कई आधुनिक लक्ष्य प्राप्ति प्रणाली (टार्गेट एक्विजिशन डेसिग्नेशन सिस्टम) है, जो 24 घंटे हर मौसम में लक्ष्य की जानकारी उपलब्ध कराता है।

साथ ही यह नाइट विजन (अंधेरे में देख सकने की क्षमता) से भी लैस है।

इसके अग्नि नियंत्रण रडार को समुद्री वातावरण में संचालित करने के लिए अपडेट किया गया है।

चिनूक है अचूक

दुनिया के 24 देशों के पास या तो चिनूक हेलीकॉप्टर सेवा में हैं या फिर उनके लिए सौदा किया गया है।

50 साल से अधिक समय से यह दुनिया का सबसे विश्वसनीय और भरोसेमंद हैवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर बना हुआ है।

इसे कैसी भी जटिल परिस्थितियों में फिर चाहे वह गर्म हो या अधिक ऊंचाई पर हो, संचालित किया जा सकता है।

CH-47F (I) चिनूक में एक आधुनिक मशीनी एयरफ्रेम है, एक एवियोनिक्स आर्किटेक्चर प्रणाली (सीएएएस) वाला कॉकपिट और एक डिजिटल ऑटोमैटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम (डीएएफसीएस) है।

इन आधुनिक तकनीकों की मदद से भारतीय वायुसेना अभियानों की बढ़ती संख्या को पूरा कर सकने में सक्षम हो सकेगी।

एलएसी पर तैनात

इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख में अग्रिम स्थानों पर सैनिकों को पहुंचाने के लिए किया जा रहा है, जहां भारत और चीन की सेनाओं के बीच आठ सप्ताह से गतिरोध था।

बता दें कि दोनों पक्षों ने इस सप्ताह तीन प्रमुख गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों की संख्या को कम किया है।

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर बीते दिनों तनाव चरम पर रहा है।

अब हालांकि, टकराव के बिंदुओं से दोनों देशों की सेनाएं पीछे लौट रही हैं लेकिन भारत इसे लेकर सतर्क है।

इसे लेकर एलएसी पर वायुसेना के हेलीकॉप्टर्स और फाइटर जेट की गश्त भी जारी है।

यहां चिनूक, मिग और अपाचे तैनात किए गए हैं।

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