हुर्रेः खुलकर खेलिए, कई इकोनॉमी इंडेक्स ने पकड़ी तेज रफ्तार

नई दिल्ली। पूरी दुनिया की तरह भारत में भी कोरोना वायरस का प्रसार रोकने लिए लॉकडाउन लगा था, जिससे अर्थव्यवस्था रसातल में चली गई थी। अब कई इंडेक्स में रिकॉर्डतोड़ रफ्तार के साथ अर्थव्यवस्था के दौड़ने के संकेत मिले हैं। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि निवेशन और व्यापारी थैली लेकर निकल पड़े हैं। इसलिए मार्केट प्लेयर के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है।

Hooray: play openly, many economy index caught fast pace

New Delhi. Like all over the world, there was a lockdown in India to stop the spread of corona virus, which caused the economy to go into the abyss. There are now signs of the economy running at a record pace in many indexes. Experts are saying that the insvesters and traders have left the bags. Hence this can be good news for the market player.

कोरोना के कारण मार्च में लॉकडाउन लगा था।

सभी उद्योग-धंधे ठप हो गए थे।

इस साल अप्रेल, मई, जून और कमोबेश जुलाई बहुत बुरे गुजरे।

बड़े कारखानेदारों को बैंकों की किस्तों का डर सता रहा था।

आम आदमी का काम-धंधा चौपट हो गया था, नौकर-पेशा लोगों की बड़े पैमाने या तो नौकरी छूट गई थी या फिर उनके वेतन में अभूतपूर्व कटौती हो गई थी।

जिन लोगों का घर चलाने के लिए महीने के अंत में कलेजा मुंह को आने लगता था, उन्होंने घर बैठकर घर का खाना-खर्चा बड़ी मुश्किल से चलाया।

कई लोग पूरी जमा-पूंजी खा बैठे और कुछ लोग घर-खर्च चलाने के लिए कर्जदार तक हो गए।

हालत ऐसी हो गई कि लगता था कि घर से बाहर निकले, तो कोरोना मार डालेगा और घर बैठे रहे, तो भूख नहीं छोड़ेगी।

3-4 महीने के सख्त लॉकडाउन के बाद लगने लगा कि इस बीमारी का इलाज या बचाव लॉकडाउन में कम है।

आवश्यकता इस बात की है कि आर्थिक गतिविधियां सावधानीपूर्वक शुरू की जाएं।

इसका नतीजा यह हुआ कि जुलाई के बाद अर्थव्यवस्था मंथर गति से खुलने लगी।

इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

शाबास जीएसटी

किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य के लिए राजस्व संग्रहण ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण सूचकांक है।

तो गुड्स एंड सर्विसेज (जीएसटी) कलेक्शन ने हिरणी की तरह कुलांचें मारनी शुरू कर दी हैं।

वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में जीएसटी कलेक्शन 87,422 करोड़ रुपए था, जो अगस्त में 86,449 करोड़ तक पहुंचा और अब हाल में गुजरे सितंबर, 2020 में जीएसटी कलेक्शन 95,480 करोड़ रुपए दर्ज किया गया है।

सितंबर, 2020 का जीएसटी कलेक्शन पिछले गैर-कोरोना वर्ष की समान अवधि की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक है।

तमिलनाडु में जीएसटी की 15 प्रतिशत और केरल में 11 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, तो महाराष्ट्र और उप्र में यह कलेक्शन पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग फ्लैट रहा है। जबकि दिल्ली में यह पिछले वर्ष की तुलना में 7 प्रतिशत कम रहा है।

जीएसटी की लगभग एक लाख करोड़़ के अंक को छूने की यह हसरत भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से कंफर्टेबल जोन में ला देगी।

दीवाली का फेस्टिव सीजन आते-आते जीएसटी के फिर से अपनी रवानी में आने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है।

पीएमआई ने कसा लंगोट

आईएचएस मार्किट देश-दुनिया की आर्थिक गतिविधियों की निगरानी करने वाला संस्थान है। आईएचएस द्वारा मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआई) जारी किया जाता है।

पीएमआई का अर्थ है कि बड़े उद्योगों की नजर में भविष्य के महीनों में तेजी और मंदी का क्या स्वरूप रहने वाला है।

उद्योगों के मैनेजर तेजी की धारणा के चलते अपने उत्पादन को बढ़ाने का निर्णय करते हैं। वे उत्पादन बढ़ाने के लिए कच्चे माल और अन्य इनपुट मैटीरियल के आर्डर्स प्लेस करते हैं।

यदि पीएमआई इंडेक्स 50 अंक कम रहता है, तो समझा जाता है कि अर्थव्यवस्था सुस्त है। 50 अंक पर अर्थव्यवस्था फ्लैट और 50 अंक से अधिक पीएमाआई इंडेक्स का अर्थ कि अर्थव्यवस्था में रफ्तार आ गई है।

लॉकडाउन के महीनों के बाद पीएमआई में अगस्त के दौरान सुधार के संकेत दिखे थे। तब पीएमआई 52 अंक पर पहुंच गया था।

सितंबर में भारी बढ़ोतरी के साथ इसे 56.8 अंक दर्ज किया गया है। इसे आप वैरी हैंडसम संकेत समझ सकते हैं।

यह इतना हैंडसम है कि जनवरी, 2012 के पश्चात का यह सर्वोच्च स्तर है।

इस आंकड़े को बाउंस बैक भी कह सकते हैं।

तीसरा शुभ संकेत

बिजली मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि बिजली की जो खपत सितंबर, 2019 में 107.51 अरब यूनिट रही थी, वह सितंबर, 2020 में 5.6 प्रतिशत बढ़त के साथ 113.54 अरब यूनिट्स हो गई।

जबकि गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में इस वर्ष बिजली खपत में अप्रैल में 23.2, मई में 14.9, जून में 10.9, जुलाई में 3.7 और अगस्त में 1.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।

सितंबर में बिजली खपत की चढ़ोतरी बताती है कि फैक्ट्रियां का चक्का तेजी से घूमने लगा है।

यह अच्छी बात है कि उद्यमियों की दूरदृष्टि भविष्य के महीनों में दम देख रही है।

बेरोजगारी दर भी सुधरी

रोजगार इंडेक्स ने भी निराश नहीं किया है।

इसमें भी मामूली बढ़त दर्ज हुई है।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में बेरोजगारी दर 8.3 प्रतिशत और जुलाई में 7.4 प्रतिशत रही, जो सितंबर में घटकर 6.7 प्रतिशत पर आ गई है।

अर्थव्यस्था और रफ्तार पकड़ेगी, तो नई नियुक्तियां होंगी और बेरोजगारी दर्ज सुधरेगी।

क्योंकि अभी संस्थान वर्तमान श्रम क्षमता के साथ उत्पादन बढ़ाने की रणनति पर चल रहे हैं। हालांकि आगे उन्हें श्रम शक्ति में वृद्धि करनी ही होगी।

 

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