फरीदाबाद के अटल बिहारी बाजपेई अस्पताल के नाम का नोटिफिकेशन हो सकता है रद्द

फरीदाबाद। हरियाणा सरकार ने बादशाह खान अस्पताल का पुनर्नामकरण किया था और इसका नाम अटल बिहारी बाजपेई अस्पताल करने का नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसका भारी विरोध हुआ। अब सूचना है कि हरियाणा सरकार इस नोटिफिकेशन को रद्द कर सकती है।

Notification of Atal Bihari Bajpai Hospital in Faridabad may be canceled

Faridabad. The Haryana government had renamed the Badshah Khan Hospital and issued a notification to name it Atal Bihari Bajpai Hospital, which was strongly opposed. It is now reported that the Haryana government may cancel this notification.

जब 1947 में पाकिस्तान और भारत का विभाजन हुआ, उस समय सनातन धर्मी और उसके सहोदर पंथी यानि सिख मतावलंबी भारत आए, तो वे करनाल और कुरुक्षेत्र के शिविरों में रहे थे।

उन्हें 1950 में फरीदाबाद में बसाने का काम शुरू हुआ था।

नागरिक आवश्यकताओं के मद्देनजर यहां पर लगभग 70 साल पहले एक अस्पताल बनाया गया, जिसका नाम बादशाह खान के नाम पर रखा गया।

यहां आए शरणार्थियों का ताल्लुक वर्तमान पाकिस्तान की फ्रंटियर इलाके से है।

जहां की कौम बहादुर, लड़का, मेहनती, किसानी और तिजारती है।

उस दौर में अंग्रेज भी फ्रंटियर इलाके पर अधिपत्य नहीं जमा पाए थे।

वहां लगातार इस बहादुर कौम ने पठानों के साथ मिलकर अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी थी, जिनका जिनका नेतृत्व बादशाह खान ने किया था।

बादशाखा का नाम मूल नाम अब्दुल गफ्फार खान है।

उन्हें बादशाह खान के अलावा बाचा खान के नाम से भी जाना जताा है।

वे एक राजनीतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक शख्सियत थे।

उन्हें सीमांत गांधी के नाम से भी पुकारा जाता है, क्यों वे फ्रंटियर के लोग फ्रंटियर का गांधी मानते थे।

कद्दावर जिस्म के मालिक और अहिंसक बादशाह खान महात्मा गांधी के मित्र और उनकी विचारधारा के अनुयाई थे।

इसलिए फरीदाबाद शहर के लाखों विस्थापित भाइयों में बादशाह खान के लिए उनके पठान होने के बावजूद खास एहतराम का जज्बा है।

जब हरियाणा सरकार ने इस अस्पताल का नाम बादशाह खान के नाम से बदलकर अटल बिहारी वाजपेई किया, तो ऐसा लगने लगा था कि अधिकारियों के स्तर पर कहीं भारी चूक हुई है।

अधिकारियों ने अस्पताल के पुराने नाम और बादशाह खान के बारे में सरकार को सही फीडबैक नहीं दिया है।

इस सरकारी जुंबिश का भारी विरोध होने का अंदेशा था और हुआ भी।

कई लोगों ने इसके विरुद्ध आंदोलन करने का इरादा जताया।

समाजसेवी अनीशपाल सबसे पहले आवाज मुखर की।

इसके बाद पूर्व मंत्री एसी चौधरी ने मीडिया से कहा कि स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर विस्थापित समाज की आवाज हैं और वह ऐसा अन्याय नहीं कर सकते हैं।

चौधरी ने कहा कि यह कहीं न कहीं किसी गलतफहमी का नतीजा है। इसलिए वे खट्टर सरकार से बात करेंगे।

सूत्रों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से विधायक सीमा त्रिखा भी नाखुश थीं और उन्होंने सीएम खट्टर से इस विषय में बात की है।

सूत्रों ने बताया कि सरकार को जब वस्तुस्थिति का पता चला, तो सरकार के स्तर पर पुनर्विचार शुरू हो गया।

सरकार को इस विषय में अंधेरे में रखने पर कुछ अधिकारियों को झाड़ भी पड़ी है।

सूत्रों का मानना है कि शीघ्र ही हरियाणा सरकार पिछले नोटिफिकेशन को रद्द करके जंगे-आजादी के फ्रंडियर आईकॉन बादशाह खान के नाम पर इस अस्पताल का नामकरण बहाल कर सकती है।

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