चीन की मुश्कें कसने को जापान में होगी क्वॉड की बैठक, भारत भी होगा शामिल

टोक्यो। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दबंगई के बीच भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री अगले महीने टोक्यो में बैठक करने पर विचार कर रहे हैं। यह बैठक क्वाड के तहत होगी, जो इन चार देशों का रणनीतिक गठबंधन है। मार्च से कोरोना संक्रमण की पाबंदियों के चलते किसी विदेशी राजनयिक का यह पहला जापान दौरा होगा। जापान टाइम्स ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि विदेशी मेहमान नवनियुक्त प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा से भी मुलाकात करेंगे।

Quad meeting to be held in Japan to tighten China, India will also join

Tokyo. The Foreign Ministers of India, Japan, the United States and Australia are considering a meeting in Tokyo next month amid China’s growing domination in the Indo-Pacific region. The meeting will take place under the Quad, a strategic alliance of these four countries. This will be the first visit of a foreign diplomat to Japan due to restrictions of the Corona transition since March. The Japan Times quoted government sources as saying that foreign guests would also meet newly appointed Prime Minister Yoshihide Suga.

एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार पहले अमेरिका ने कहा था कि हिंद-प्रशांत की अवधारणा ने भारत को बड़े समाधान में शामिल किया है। इतना ही नहीं ट्रंप प्रशासन क्वाड देशों जैसे समान विचार वाले साझेदारों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए एक नई व्यवस्था विकसित कर रहा है।

एक शीर्ष अमेरिकी राजनयिक के मुताबिक नवंबर 2017 में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए लंबे समय से लंबित क्वाड गठबंधन को आकार दिया। इसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र के समुद्री मार्गों को भी निर्विघ्न करना है।

बता दें कि हिंद-प्रशांत एक जैव-भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर सहित पश्चिमी और मध्य प्रशांत महासागर शामिल हैं। चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है, लेकिन ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम इसके कुछ हिस्सों का दावा करते हैं।

पूर्वी एशिया और प्रशांत मामलों के ब्यूरो के सहायक विदेश मंत्री डेविड स्टिलवेल ने सीनेट की विदेश मामलों की समिति से कहा, श्आपने देखा है कि भारत इस संबंध में बहुत मजबूत है। हिंद-प्रशांत की अवधारणा ने भारत को बड़े समाधान में शामिल किया है।श्

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